
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। आज इस मामले पर सुनवाई होनी थी, लेकिन जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की अनुपलब्धता के कारण सुनवाई टल गई। इससे पहले, 31 जनवरी को भी इस मामले पर सुनवाई तय थी, लेकिन उस दिन बेंच के जज की छुट्टी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी थी।
*अभ्यर्थियों की गंभीर आपत्तियां
अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि आयोग ने परीक्षा के दौरान कई प्रश्नों के गलत उत्तर को सही माना और उसी आधार पर परिणाम तैयार किया। इसके अलावा, अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि 4 जनवरी को हुई परीक्षा में 20 से ज्यादा प्रश्न ऐसे थे, जो 13 दिसंबर की परीक्षा में भी पूछे गए थे। प्रशांत शेखर नामक एक अभ्यर्थी की याचिका में यह भी दावा किया गया था कि आयोग ने संविधान की धारा 14 (समानता का अधिकार) और धारा 31 (संविधान के उल्लंघन) का उल्लंघन किया है।
*कानूनी लड़ाई में तेजी
प्रशांत शेखर के वकील अर्पित आनंद ने न्यायालय में यह कहा था कि आयोग ने जल्दबाजी में रिजल्ट प्रकाशित किया है और कई गलत उत्तरों को सही माना है। उन्होंने यह भी कहा कि बीपीएससी की इस कार्रवाई से संविधान का उल्लंघन हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप युवाओं के अधिकारों का हनन हुआ है।
*आयोग की स्थिति
वहीं, बीपीएससी ने इस मामले को हाईकोर्ट में होने के कारण रिजल्ट को बदलने की संभावना जताई थी। परीक्षा में सफल होने वाले अभ्यर्थी भी इस मामले की सुनवाई पर नजर लगाए हुए हैं, क्योंकि वे यह समझते हैं कि उच्च न्यायालय के निर्णय से उनका भविष्य प्रभावित हो सकता है।
*सफलता की दर
बीपीएससी 70वीं प्रीलिम्स परीक्षा के परिणाम के अनुसार, 4 जनवरी की परीक्षा में 19.6% अभ्यर्थी सफल हुए हैं, जबकि 13 दिसंबर की परीक्षा में यह आंकड़ा 6.3% था। इस आंकड़े को लेकर अभ्यर्थियों और शिक्षकों में असंतोष है, और वे इसे लेकर कानूनी लड़ाई में जुटे हुए हैं।
*अंतिम निर्णय का इंतजार
अब सभी की निगाहें पटना उच्च न्यायालय पर टिकी हैं, जहां इस मामले पर अगली सुनवाई होने की संभावना है। यह सुनवाई अभ्यर्थियों के लिए बेहद अहम है, क्योंकि इसके बाद ही यह तय होगा कि 70वीं बीपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा को रद्द किया जाएगा या नहीं।