
इंसाफ टाइम्स
उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में एक दलित युवती की हत्या के मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी दिग्विजय सिंह उर्फ बाबा है, जो उसी गांव का निवासी है। पुलिस का कहना है कि दिग्विजय का युवती के पिता के साथ संपर्क था, और युवती के भाई द्वारा दो महीने पहले की गई पिटाई से नाराज होकर उसने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया।
*हत्या की घटना की पूरी कहानी
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 30 जनवरी को दिग्विजय अपने दो दोस्तों हरिराम कोरी और विजय साहू के साथ गांव के बाहर नशा कर रहा था। उसी दौरान युवती कथा सुनकर घर लौट रही थी। तीनों आरोपियों ने उसे अकेला देखकर जबरन खेत में खींच लिया और दुष्कर्म की कोशिश की। विरोध करने पर युवती की हत्या कर दी और शव को छोड़कर फरार हो गए।
*आरोपियों का बयान
पुलिस ने तीनों आरोपियों से पूछताछ की और उन्होंने जुर्म स्वीकार कर लिया है। पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपी नशे में थे और इसी हालत में उन्होंने वारदात को अंजाम दिया। अयोध्या के एसएसपी राजकरन नय्यर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पुलिस ने घटनास्थल की जांच के बाद चार टीमें गठित की थीं और मुखबिरों से मिली सूचना, सीसीटीवी फुटेज और वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को पकड़ा।
*सियासी हलचल
इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में भी तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर इस अमानवीय हत्या पर चिंता जताई और इसे भाजपा सरकार के दलित विरोधी रवैये का परिणाम बताया। वहीं, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह घटना एक बार फिर डबल इंजन सरकार के दलित विरोधी चेहरे को उजागर करती है।
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, “यह सरकार न केवल दलितों की सुरक्षा में नाकाम रही है, बल्कि अपराधियों को खुली छूट दे रही है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से हत्या के दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की और पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद देने की भी अपील की।
*हत्या की भयावह स्थिति
युवती का शव नग्न अवस्था में मिला था और उसके शरीर पर 30 से अधिक चोटों के निशान थे। शरीर के हाथ और पैर रस्सी से बंधे हुए थे। शव की स्थिति देखकर परिजन सकते में आ गए थे। 30 जनवरी को घर से निकलने के बाद वह वापस नहीं आई थी और 31 जनवरी को पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।
*पुलिस कार्रवाई
शव की पहचान होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। हालांकि, परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने पहले मामले को हल्के में लिया था। पुलिस ने बाद में इस मामले को गंभीरता से लिया और आरोपियों को गिरफ्तार किया।
*आरोपियों की गिरफ्तारी
पुलिस ने बताया कि तीनों आरोपी मजदूर थे और एक साथ मकानों की पेंटिंग का काम करते थे। दिग्विजय एक निजी आईटी कॉलेज में चौकीदार था।
*भविष्य में क्या होगा?
इस घटना के बाद सवाल उठता है कि क्या प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा और इस तरह की घटनाओं पर रोक लगेगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं का कहना है कि सरकार को दलितों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।