दिल्ली विधानसभा चुनाव:10 साल में ही ढह गया ‘आप’ का क़िला,जानिए इसके प्रमुख कारण

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले रहे। 10 साल से सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रचंड बहुमत हासिल किया। अब तक घोषित नतीजों के अनुसार, बीजेपी ने 70 में से 48 सीटें जीत ली हैं, वहीं आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा। दूसरी ओर, कांग्रेस एक बार फिर खाता खोलने में नाकाम रही।

दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में यह बदलाव ऐतिहासिक माना जा रहा है। खास बात यह रही कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, वरिष्ठ मंत्री सौरभ भारद्वाज और सतेंद्र जैन अपनी-अपनी सीटें हार गए। हालांकि, मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी अपनी सीट बचाने में कामयाब रहीं।
अगर वोट प्रतिशत की बात करें, तो बीजेपी और AAP के बीच महज 5% वोटों का अंतर है, लेकिन यह मामूली अंतर सीटों के बड़े अंतर में तब्दील हो गया।

आप की हार और बीजेपी की जीत के कारण

1.एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर
आम आदमी पार्टी पिछले 10 सालों से दिल्ली की सत्ता में थी। जनता में सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) थी, जिसे आम आदमी पार्टी दूर करने में विफल रही। जनता के बीच यह धारणा बनी कि अब बदलाव की जरूरत है, जिसका फायदा बीजेपी को मिला।

2.भ्रष्टाचार के आरोप और जेल गए नेता
AAP के शीर्ष नेतृत्व पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे बड़े नेता भ्रष्टाचार के मामलों में जेल गए। इससे आम आदमी पार्टी की साफ-सुथरी छवि को गहरा धक्का लगा, जिसका नारा लगा कर वे लोग सत्ता में आए थे। जनता के एक बड़े हिस्से ने इसे मुद्दा बनाया और सरकार को हटाने का मन बना लिया।

3.अधूरे वादे: सीवर, सड़क और यमुना सफाई
दिल्ली की जनता ने इस बार बुनियादी सुविधाओं पर खास ध्यान दिया। राजधानी में सीवर की समस्या, जर्जर सड़कें और यमुना की सफाई बड़े चुनावी मुद्दे बने। विपक्ष ने इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाया और आप सरकार इनका ठोस जवाब देने में नाकाम रही। जनता में यह धारणा बनी कि इन मोर्चों पर सरकार विफल रही।

4.बीजेपी का सशक्त बूथ मैनेजमेंट और घोषणाएं
बीजेपी ने इस बार दिल्ली में अपने बूथ मैनेजमेंट को बेहद मजबूत किया। पार्टी ने झुग्गी बस्तियों, और महिलाओं को लुभाने के लिए कई घोषणाएं कीं, जिससे इन्हें काफी समर्थन मिला। दिल्ली में झुग्गी बस्तियों और दलितों की एक बड़ी आबादी बीजेपी की ओर झुकी, जिससे आप को नुकसान हुआ।

5.INDIA गठबंधन की टूट और कांग्रेस की रणनीति

लोकसभा चुनाव से पहले बना INDIA गठबंधन दिल्ली चुनाव में बिखरता नजर आया। खासकर, कांग्रेस ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया, जिससे आप को बड़ा झटका लगा।
करीब 11 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को उतने वोट मिले, जितने AAP उम्मीदवारों के हार के अंतर से ज्यादा थे। इनमें नई दिल्ली सीट भी शामिल रही, जहां आप के उम्मीदवार की हार में कांग्रेस की भूमिका अहम रही।

6.मुस्लिम वोटरों की नाराजगी
दिल्ली चुनाव में मुस्लिम वोटर्स की नाराजगी भी आप की हार का बड़ा कारण बनी।
-अरविंद केजरीवाल ने 2020 के दिल्ली दंगों पर चुप्पी साधी थी, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय में असंतोष था।
-तब्लीगी जमात को लेकर भी AAP नेताओं के बयानों से मुस्लिम वोटर्स नाखुश थे।
हालांकि, मुस्लिम बहुल इलाकों में कई सीटों पर AAP के उम्मीदवार जीते, लेकिन कई अन्य सीटों पर मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गए, जिससे आप को नुकसान हुआ।

दिल्ली में आए इन नतीजों का बड़ा राजनीतिक संदेश है। आप के लिए यह हार एक बड़े झटके की तरह है, जबकि बीजेपी ने इस जीत से अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं। अगले कुछ महीनों में आम आदमी पार्टी के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े होंगे।

(ये स्टोरी मानू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मुहम्मद फैजान ने लिखी है)

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