बिहार में वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ एसडीपीआई की बड़ी मुहिम:पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस, पूर्णिया में 20 फरवरी को विशाल जनसभा

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने अपने आंदोलन को तेज़ करते हुए बिहार में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। इसी क्रम में सोमवार को पटना के रिपब्लिक होटल में “वक्फ की सुरक्षा, समाज की सुरक्षा” शीर्षक से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एसडीपीआई बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आफताब आलम ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

डॉ. आलम ने कहा, “वक्फ अल्लाह की अमानत है, और इसकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। वक्फ संशोधन बिल न केवल वक्फ संपत्तियों का मामला है, बल्कि यह हमारे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों पर भी हमला है। यह बिल वक्फ संपत्तियों को हड़पने की केंद्र सरकार की सोची-समझी साजिश है।”

उन्होंने बिल के खतरनाक प्रावधानों पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें वक्फ पंजीकरण प्रक्रिया में उपयोगकर्ताओं को शामिल करना, वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को स्थान देना, वक्फ ट्रिब्यूनल को अमान्य करना और जिला कलेक्टर को वक्फ मामलों में न्यायिक अधिकार देना जैसे असंवैधानिक प्रावधान शामिल हैं।

*पूर्णिया में विशाल जनसभा का आयोजन
डॉ. आफताब आलम ने जानकारी दी कि एसडीपीआई ने “वक्फ की सुरक्षा, समाज की सुरक्षा” अभियान के तहत 8 फरवरी से 25 फरवरी तक देशभर में विरोध प्रदर्शन और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इसी कड़ी में 20 फरवरी को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में दोपहर 12 बजे से एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जाएगा।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसडीपीआई के बिहार प्रभारी और राष्ट्रीय समिति सदस्य डॉ. महबूब अवध शरीफ ने भी इस बिल की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “यह बिल संविधान में दिए गए अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। यह सरकार की एक फासीवादी साजिश है जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम केंद्र सरकार से इसे तुरंत वापस लेने की मांग करते हैं।”

एसडीपीआई ने सभी नागरिकों और विपक्षी दलों से इस संघर्ष में शामिल होने और सरकार की ‘फासीवादी’ नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

वक्फ संशोधन बिल पर उठे ये सवाल न केवल मुस्लिम समुदाय के लिए, बल्कि देश के लोकतांत्रिक और संवैधानिक ढांचे के लिए भी चिंताजनक हैं। इस संघर्ष में शामिल होकर एसडीपीआई ने एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक चुनौती को सामने लाने का प्रयास किया है।

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