
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के सासाराम की छात्रा स्नेहा की वाराणसी में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने ‘हाथरस कांड’ की याद दिला दी है। इस घटना में स्नेहा के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप लग रहे हैं। इसके बाद आरोपियों ने कथित तौर पर शव को जलाकर सबूत मिटाने की कोशिश की। यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुई है, जिससे पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
*क्या है मामला?
स्नेहा, जो सासाराम की रहने वाली थी, वाराणसी में पढ़ाई कर रही थी। परिवार का आरोप है कि लॉज के मालिक और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर स्नेहा के साथ दुष्कर्म किया और हत्या कर दी। इसके बाद परिवार को बताया गया कि स्नेहा ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। जब परिजन वाराणसी पहुंचे तो उन्हें जानकारी मिली कि स्नेहा के शव का पहले ही अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
परिजनों का आरोप है कि शव को जल्दबाजी में जलाकर साक्ष्य मिटाने की कोशिश की गई। इस मामले में स्थानीय पुलिस पर भी आरोप लग रहे हैं कि उसने आरोपियों के साथ मिलीभगत कर उन्हें बचाने का प्रयास किया।
*सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
युवा शक्ति दल बिहार के प्रदेश अध्यक्ष तोराब नियाज़ी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा, “यह घटना दिल दहला देने वाली है। स्नेहा जैसी मासूम बेटियों के साथ ऐसा बर्ताव समाज के लिए एक कलंक है। प्रशासन अगर इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करता तो हम सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।”
*आक्रोश और न्याय की मांग
स्नेहा के परिवार और स्थानीय लोगों ने न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और बिहार सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप कर दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग की है। सोशल मीडिया पर #JusticeForSneha ट्रेंड कर रहा है, और लोग दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं।
*‘हाथरस कांड’ की याद
यह घटना 2020 में हुए हाथरस कांड की याद दिलाती है, जहां प्रशासन ने पीड़िता के परिवार की अनुमति के बिना रातोंरात अंतिम संस्कार कर दिया था। वाराणसी की यह घटना भी उसी तरह सवाल खड़े कर रही है कि आखिर न्याय प्रक्रिया और महिला सुरक्षा पर प्रशासन कितना गंभीर है।
*न्याय प्रणाली पर सवाल
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि महिलाओं की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने में हम कहां खड़े हैं। पुलिस और प्रशासन को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए ताकि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिल सके और दोषियों को सख्त सजा मिले।