डॉ. निज़ामुद्दीन बने एसडीपीआई उत्तर प्रदेश के नए कप्तान, नई शिक्षा नीति को बताया ‘जनविरोधी कदम

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) उत्तर प्रदेश ने एक नई शुरुआत की घोषणा करते हुए डॉ. निज़ामुद्दीन को प्रदेश अध्यक्ष चुना। लखनऊ के विधानसभा रोड स्थित होटल अवध कोर्ट में आयोजित प्रदेश प्रतिनिधि सम्मेलन में यह फैसला लिया गया।

सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शरफुद्दीन अहमद, राष्ट्रीय महासचिव इलियास मोहम्मद तुम्बे और राष्ट्रीय सचिव अब्दुल सत्तार मौजूद रहे। प्रदेशभर से जुटे प्रतिनिधियों ने एसडीपीआई के भविष्य की योजनाओं और उत्तर प्रदेश में उसकी भूमिका पर चर्चा की।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शरफुद्दीन अहमद ने पार्टी के संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए इसे प्रदेश में मजबूत बनाने का आह्वान किया। प्रदेश महासचिव मोहम्मद नदीम ने संगठन की उपलब्धियों और आगामी कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला।

आंतरिक चुनाव अधिकारी इलियास मोहम्मद तुम्बे ने नई कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें डॉ. निज़ामुद्दीन को प्रदेश अध्यक्ष और महेंद्र सिंह व हारून साहिल को उपाध्यक्ष बनाया गया। मोहम्मद नदीम, सरवर अली और शोएब हसन महासचिव बनाए गए, जबकि कारी अजमाईन को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।

*पारित किए गए प्रमुख संकल्प:
-नागरिक सम्मान और सुरक्षा: हर नागरिक के सम्मान और गरिमा की रक्षा।
-शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार: प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
-मजदूर और किसान अधिकार: किसानों और मजदूरों के मुद्दों पर विशेष ध्यान देना।

*डॉ. निज़ामुद्दीन का हमला: “नई शिक्षा नीति कमजोर वर्गों के खिलाफ”
डॉ. निज़ामुद्दीन ने 12 फरवरी को एक बयान में केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति 2020 पर तीखा हमला किया। उन्होंने इसे गरीब और पिछड़े वर्गों के छात्रों के खिलाफ बताया।

उन्होंने कहा कि 10वीं बोर्ड परीक्षा और एमफिल जैसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक चरणों को खत्म करना न केवल शिक्षा को जटिल बनाएगा बल्कि कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच और मुश्किल कर देगा। उन्होंने डिजिटल शिक्षा के विस्तार को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी पर भी सवाल उठाए।

*डॉ. निज़ामुद्दीन की मुख्य चिंताएं:
1.10वीं बोर्ड परीक्षा का हटना:इससे छात्रों की पढ़ाई की तैयारी पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
2.एमफिल का समाप्त होना: शोध के क्षेत्र में सीमित विकल्प।
3.मातृभाषा में शिक्षा: इस फैसले का क्रियान्वयन समान रूप से संभव नहीं है।
4.डिजिटल शिक्षा का प्रसार: ग्रामीण इलाकों में बुनियादी तकनीकी सुविधाओं की कमी इसे असफल बना सकती है।

डॉ. निज़ामुद्दीन ने मांग की कि नई शिक्षा नीति को लागू करने से पहले व्यापक समीक्षा की जाए। उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षा को हर वर्ग के लिए सुलभ और समान बनाए, तभी इसका उद्देश्य पूरा होगा।

*एसडीपीआई का वादा:
एसडीपीआई ने कहा कि वह जनसंघर्ष, समानता और सामाजिक बदलाव की नीति पर काम करती रहेगी। पार्टी ने प्रदेशवासियों से अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने और न्यायपूर्ण समाज बनाने में सहयोग करने की अपील की।

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