
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार की राजनीति में दलित वोट बैंक को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने आगामी 28 फरवरी को पटना के गांधी मैदान में ‘दलित समागम’ का आयोजन करने की घोषणा की है। इस आयोजन को दलित समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने और राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
*मांझी का शक्ति प्रदर्शन
28 फरवरी को गांधी मैदान में होने वाला ‘दलित समागम’ मांझी का बड़ा राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। इस आयोजन के जरिए वह दलित समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। मांझी ने इस रैली को बिहार में दलितों के हक और अधिकारों की आवाज बताया है।
*बिहार में एससी/एसटी की जनसंख्या
बिहार में अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी लगभग 19.65% और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी लगभग 1.28% है। कुल मिलाकर, राज्य में एससी/एसटी समुदाय की कुल जनसंख्या 21% है, जो चुनावी समीकरणों में अहम भूमिका निभाती है।
*दलित राजनीति पर असर
बिहार में दलित समुदाय का यह प्रतिशत राज्य के राजनीतिक दलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मांझी का यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए दलित वोट बैंक को साधने के लिए अहम माना जा रहा है।
*राजनीतिक समीकरणों की तैयारी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन बिहार की राजनीति में दलित समुदाय के लिए नए मुद्दों को सामने लाने के साथ-साथ मांझी की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा।
क्या यह ‘दलित समागम’ बिहार की राजनीति में कोई नया मोड़ ला पाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।