
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में निलंबित इंस्पेक्टर मोहित यादव ने हिंदू धर्म त्यागने की घोषणा कर दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें जातिगत भेदभाव और शोषण का शिकार बनाया जा रहा है। इस विरोध के रूप में उन्होंने अपने घर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों और चित्रों को सार्वजनिक स्थल पर रखकर अपना विरोध दर्ज कराया।
*जातिगत शोषण का आरोप
मोहित यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, “पिछले तीन महीनों से मुझे जाति के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है। मेरे खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए, जांचें खोली गईं और निलंबन तक कर दिया गया। उच्च पदों पर बैठे अधिकारी विशेष जाति के लोगों को बचाते हैं और मेरे जैसे लोगों का शोषण करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि वह अब हिंदू धर्म से पूरी तरह अलग हो चुके हैं और भविष्य में किसी अन्य धर्म को अपनाने पर विचार करेंगे।
*चाय बेचने को हुए मजबूर
निलंबन के बाद मोहित यादव अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए झांसी के इलाइट चौराहे पर चाय की दुकान चला रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग में उनके साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।
*क्या है पूरा मामला?
2012 बैच के सब-इंस्पेक्टर मोहित यादव की नियुक्ति मृतक आश्रित कोटे से हुई थी। जनवरी 2025 में उनका रिजर्व इंस्पेक्टर (RI) सुभाष सिंह से अवकाश स्वीकृति को लेकर विवाद हो गया था। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया। मोहित यादव का दावा है कि इस निलंबन का कारण जातिगत भेदभाव है।
*पुलिस विभाग में भेदभाव के आरोप
मोहित यादव की यह कार्रवाई पुलिस महकमे में जातिगत भेदभाव और शोषण के मुद्दे को उजागर करती है। इस घटना के बाद झांसी और आसपास के क्षेत्रों में जाति-आधारित भेदभाव पर चर्चा तेज हो गई है।
*जांच की उठी मांग
मामले को लेकर दलित संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, पुलिस विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।