
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के धामूपुर गांव में स्थित परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद के नाम पर बने विद्यालय का नाम बदलकर ‘पीएमश्री कंपोजिट विद्यालय’ कर दिया गया है। इस फैसले के बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
*क्या है पूरा मामला?
गाजीपुर के धामूपुर गांव में वीर अब्दुल हमीद के नाम पर एक सरकारी विद्यालय था, लेकिन हाल ही में राज्य सरकार द्वारा इसका नाम बदल दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, यह बदलाव केंद्र सरकार की ‘पीएमश्री योजना’ के तहत हुआ है, जिसमें कई सरकारी स्कूलों को नया स्वरूप दिया जा रहा है। हालांकि, इस कदम को लेकर कई लोगों ने आपत्ति जताई है।
*विरोध और प्रतिक्रिया
वरिष्ठ पत्रकार वसीम अकरम त्यागी ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा, “अगर इस देश के देशभक्तों को यह बुरा नहीं लग रहा है, तो समझ लीजिए उनकी देशभक्ति सिर्फ नारेबाज़ी तक सीमित है। वीर अब्दुल हमीद ने देश के लिए बलिदान दिया, लेकिन उनके नाम से जुड़ी विरासत को मिटाने की कोशिश की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “जिस विद्यालय में अब्दुल हमीद ने पढ़ाई की, उसी का नाम बदल दिया गया। यह वीर सैनिकों के सम्मान के खिलाफ है।”
*स्थानीय लोगों में नाराजगी
गांव के लोगों और कई सामाजिक संगठनों ने भी इस फैसले का विरोध किया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वीर अब्दुल हमीद का नाम देश की शान है और उनके नाम पर बने संस्थानों को बरकरार रखना चाहिए।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “सरकार को चाहिए कि वह हमारे महान योद्धाओं का सम्मान करे, न कि उनके नाम मिटाए। यह फैसला लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है।”
*सरकार और प्रशासन की सफाई
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला किसी विशेष कारण से नहीं लिया गया, बल्कि केंद्र सरकार की पीएमश्री योजना के तहत नाम बदले जा रहे हैं। हालांकि, इस तर्क को कई लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं और इसे सुनियोजित रणनीति करार दे रहे हैं।
इस मुद्दे पर बढ़ते विरोध को देखते हुए स्थानीय लोग और कई संगठन सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या वीर अब्दुल हमीद की विरासत को बरकरार रखा जाएगा या नहीं।