इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में पश्चिम बंगाल के समसेरगंज में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने विशाल विरोध सभा का आयोजन किया। सभा में नेताओं ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को लेकर कड़े तेवर अपनाए।
सभा को संबोधित करते हुए एसडीपीआई के प्रदेश महासचिव हसीबुल इस्लाम, डॉ. कमाल बसीर, संगठन महासचिव सुमन मंडल, राज्य कमेटी सदस्य अब्दुल मन्नान, पाकुड़ जिला परिषद व झारखंड प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हंजला शेख, उत्तरी मुर्शिदाबाद जिला अध्यक्ष मोहम्मद जैसुद्दीन सहित अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार पर वक्फ संपत्तियों को हड़पने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
“मुसलमानों की विरासत पर हमला बर्दाश्त नहीं”
वक्ताओं ने कहा कि वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की ऐतिहासिक धरोहर हैं, जिन्हें हड़पने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर मुस्लिम समाज को आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर करने का आरोप लगाया।
विरोध सभा में केंद्र की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा गया, “पहले बाबरी मस्जिद पर कब्जा कर राम मंदिर बनाया गया, अब वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। यह मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश है, जिसे हर हाल में रोका जाएगा।”
देशभर में होगा उग्र विरोध
एसडीपीआई नेताओं ने चेतावनी दी कि जब तक यह बिल वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। पार्टी ने देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज करने का ऐलान किया है।
इसके अलावा, सभा में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), मुस्लिम लिंचिंग, हिजाब और अज़ान पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर भी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की गई।
सरकार और विपक्ष में टकराव बढ़ा
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दी है, जिसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया है, लेकिन मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल इसे एकतरफा निर्णय बताकर विरोध कर रहे हैं।
वक्फ बिल के खिलाफ देश के अन्य हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिससे यह मुद्दा और गरमाता जा रहा है। आने वाले दिनों में इस पर सरकार और विपक्ष के बीच बड़ी राजनीतिक लड़ाई देखने को मिल सकती है।