वक़्फ़ एक्ट 2024 के खिलाफ बिहार की मिल्ली तंजीमों, खानकाहों और मदरसों का कड़ा विरोध

“यह जंग जायदाद की नहीं, बल्कि मिल्लत के मुस्तकबिल की है”— संयुक्त बयान

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

बिहार की प्रमुख मिल्ली तंजीमों, मशहूर खानकाहों और अहम मदरसों ने प्रस्तावित वक़्फ़ एक्ट 2024 को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे भारतीय संविधान, मूल अधिकारों और इंसाफ़ के बुनियादी उसूलों पर सीधा हमला बताया है।

इन संगठनों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि यह सिर्फ एक क़ानूनी बदलाव नहीं है, बल्कि भारत की सबसे ज्यादा पिछड़ी और वंचित कौम को उसके धार्मिक, शैक्षिक और कल्याणकारी इदारों से महरूम करने की एक संगठित साजिश है। वक़्फ़ संपत्तियों पर सरकारी क़ब्ज़ा दरअसल मुस्लिम समुदाय के तालीमी, फ़लाही और मज़हबी ढांचे को खत्म करने की एक कोशिश है, जिसे किसी भी हालत में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

“नाउम्मीदी नहीं, बल्कि मज़ाहमत और सब्र का वक्त है”

मिल्लत के रहनुमाओं ने कहा कि मुसलमानों को हौसला रखना चाहिए और हिकमत और मज़बूती के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा:

-हम पीछे नहीं हटेंगे— न आज, न कल। इस जुल्मी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी और अवाम में इस कानून के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाएगी।
-सरकार अगर संविधान का सहारा लेकर रोक लगाने की कोशिश करेगी, तो हम हर चुनौती का सामना करेंगे और अपने हक़ की जंग जारी रखेंगे।
-नाम निहाद सेक्युलर पार्टियों, जनता दल यूनाइटेड, तेलुगु देशम पार्टी और अन्य ने जिस तरह से बहुसंख्यक राजनीति का साथ दिया और मुसलमानों की आवाज को दबाया, वह इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज होगा।
-यह जंग किसी तात्कालिक जीत-हार की मोहताज नहीं, बल्कि एक उसूली लड़ाई है, जिसे तदब्बुर और मज़बूती के साथ जारी रखा जाएगा।

“वक़्फ़ संपत्तियों पर कब्जे की साजिश नाकाम होगी”

मिल्लत की तंजीमों ने साफ़ कहा कि अगर सरकार यह समझती है कि वक़्फ़ संपत्तियों, मदरसों, मस्जिदों, दरगाहों, खानकाहों, अस्पतालों, मुसाफिरखानों, सबीलों और कब्रिस्तानों पर कब्जा कर मुसलमानों को कमजोर कर देगी, तो वह बड़ी भूल कर रही है।

“जमीन छीनी जा सकती है, इमारतें गिराई जा सकती हैं, लेकिन मुसलमानों की गैरत, ईमान और उनकी जद्दोजहद को खत्म नहीं किया जा सकता। इतिहास गवाह है कि जब भी उम्मत मुश्किल में पड़ी, अल्लाह ने उसे और मज़बूत किया। आज भी हम मौजूद हैं, हम मुत्तहिद हैं, हम मज़ाहमत करेंगे और इंशा अल्लाह, कामयाब होंगे।”

विरोध में शामिल तंजीमें, खानकाहें और मदरसे

यह बयान निम्नलिखित तंजीमों, खानकाहों और मदरसों की तरफ से जारी किया गया है:

मिल्ली तंजीमें:
-इमारत-ए-शरीया (बिहार, उड़ीसा, झारखंड और पश्चिम बंगाल)
-जमात-ए-इस्लामी हिंद (बिहार हज़्का)
-जमीअत उलेमा-ए-हिंद बिहार (अलिफ)
-जमीअत उलेमा-ए-हिंद बिहार (मीम)
-इदारा-ए-शरीया, सुल्तानगंज
-जमीअत अहले हदीस
-मजलिस-ए-उलमा इमामिया, खुतबा अहले तशय्यु
-ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत, बिहार
-ऑल इंडिया मोमिन कॉन्फ्रेंस

खानकाहें:
-खानकाह रहमानी, मुंगेर
-खानकाह मजीबिया, फुलवारी शरीफ, पटना
-खानकाह इमादिया, मंगल तालाब, पटना सिटी
-खानकाह फिरदौसिया, मुनीर शरीफ, पटना
-खानकाह दरवेशिया अशरफिया, बैथू शरीफ, गया
-खानकाह चिश्तिया निज़ामिया, शाह टोली, दानापुर, पटना
-खानकाह सरकारही शरीफ, मुजफ्फरपुर
-खानकाह कबीरिया, सासाराम
-खानकाह चिश्तिया निज़ामिया, दानापुर
-दरगाह काको, जहानाबाद
-दरगाह हजरत मिनहाजुद्दीन रास्ती, फुलवारी शरीफ, पटना
-खानकाह आलिया चिश्तिया, गया

मदरसों की सूची:
-जामिया रहमानिया, खानकाह मुंगेर
-दारुल उलूम इस्लामिया, इमारत-ए-शरीया, गौवनपुरा, पटना
-मदरसा इस्लामिया, शकरपुर, दरभंगा
-मदरसा चश्म-ए-फैज़, मिलमल, मधुबनी
-मदरसा इस्लामिया महमूदुल उलूम, दामला, मधुबनी
-मदरसा तहरीफुल कुरान, समनपुरा, राजा बाज़ार, पटना
-मदरसा आरिफिया, संग्राम, मधुबनी
-दारुल उलूम तामीर मिल्लत, बाग क़ैसरी, अररिया
-मदरसा इस्लाहुल मुस्लिमीन, रामपुर, फारबिसगंज, अररिया
-जामिया अरबिया क़ासिम उल उलूम, बर्जुर्ग हरना, बांका
-जामिया रशीदिया, जामा मस्जिद, बेगूसराय
-दारुल उलूम सज्जाद नगर, लरवाड़ा, बेगूसराय
-मदरसा अमानतुल उलूम, रंगरा, नवगछिया, भागलपुर
-मदरसा अशरफिया अरबिया, पोहड़ी बेला, दरभंगा
-मदरसा इमदादिया, लहरिया सराय, दरभंगा
-जामिया फला-उद-दारीन, डेहरी-ऑन-सोन, रोहतास
-मदरसा निज़ामिया अशरफ उल मदारीस, लिलजा, सहरसा
-मदरसा इस्लाहिया, पाक टोला, सीतामढ़ी
-अलजामिया अरबिया अहिया उल उलूम, सुपौल

यह इम्तिहान खत्म होगा, हक़ की जीत होगी”

मिली रहनुमाओं ने कहा कि “उम्मत का सबसे मुश्किल दिन वह था जब रसूल-ए-अकरम ﷺ ने दुनिया से पर्दा फरमाया। उसके बाद भी उम्मत पर आज़माइशें आईं, लेकिन हर बार अल्लाह ने उसे और ताकत दी। आज भी हम आज़माए जा रहे हैं और इंशा अल्लाह, यह इम्तिहान भी खत्म होगा और हक़ की जीत होगी।”

मिल्लत ने अपने इरादे को मज़बूत करते हुए कुरआन की आयत दोहराई “और मदद सिर्फ अल्लाह की तरफ से आती है, बेशक अल्लाह ज़बरदस्त है, हिकमत वाला है।” (कुरआन 3:126)

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