महाबोधि मंदिर मुक्ति आंदोलन: भिक्षुओं का अल्टीमेटम—बुद्ध पूर्णिमा तक इंतजार, फिर एक करोड़ बौद्धों का जुटान

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

बिहार के बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर के पूर्ण नियंत्रण की मांग को लेकर बौद्ध भिक्षुओं ने आंदोलन तेज कर दिया है। उन्होंने बिहार सरकार को चेतावनी दी है कि यदि बुद्ध पूर्णिमा तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो एक करोड़ बौद्ध अनुयायी एकत्र होकर व्यापक आंदोलन करेंगे।

मांगें और आंदोलन की पृष्ठभूमि

बौद्ध समुदाय लंबे समय से महाबोधि मंदिर का प्रबंधन पूर्णतः बौद्धों को सौंपने की मांग कर रहा है। वर्तमान में, 1949 के एक अधिनियम के तहत, मंदिर प्रबंधन समिति में हिंदू और बौद्ध दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिससे बौद्ध समुदाय असंतुष्ट है। उनका कहना है कि महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है, इसलिए इसका नियंत्रण पूरी तरह से बौद्धों के हाथ में होना चाहिए।

आंदोलन की वर्तमान स्थिति

हाल ही में, नागपुर में बौद्ध भिक्षुओं ने एकत्र होकर महाबोधि मंदिर मुक्ति आंदोलन को समर्थन दिया। इस दौरान जोरदार प्रदर्शन हुए, जिसमें भिक्षुओं ने अपनी मांगों को दोहराया और सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील की।

इसके अलावा, बोधगया में आंदोलनरत भिक्षुओं को पुलिस द्वारा हटाए जाने के बाद, देशभर से पहुंचे बौद्ध भिक्षुओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।

इतिहास और गांधीजी का अधूरा वादा

महाबोधि मंदिर मुक्ति आंदोलन का इतिहास लगभग 100 वर्ष पुराना है। महात्मा गांधी ने भी बौद्ध समुदाय से मंदिर का नियंत्रण उन्हें सौंपने का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका है। यह मुद्दा आज भी बौद्ध समुदाय के लिए संवेदनशील बना हुआ है।

आंदोलन की आगामी रणनीति

भिक्षुओं ने स्पष्ट किया है कि यदि बुद्ध पूर्णिमा तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे एक करोड़ बौद्ध अनुयायियों के साथ व्यापक आंदोलन करेंगे। इससे बिहार सरकार पर दबाव बढ़ सकता है, और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है।

सरकार की प्रतिक्रिया

बिहार सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, बढ़ते दबाव और संभावित आंदोलन को देखते हुए, सरकार को जल्द ही इस पर निर्णय लेना पड़ सकता है।

महाबोधि मंदिर मुक्ति आंदोलन ने एक बार फिर से बौद्ध समुदाय की भावनाओं और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को प्रमुखता से उजागर किया है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और संबंधित प्राधिकरण इस पर क्या कदम उठाते हैं।

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