इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के बोधगया में चल रहे महाबोधि महाविहार मुक्ति आंदोलन को लेकर अब मामला और गर्मा गया है। आंदोलनकारियों को अब भीम आर्मी का समर्थन भी मिल गया है। बीते रात भीम आर्मी बिहार प्रदेश अध्यक्ष अमर ज्योति बोधगया पहुंचे और धरना स्थल पर बैठे बौद्ध भंते, भिक्षु, भिक्षुणी, उपासक एवं उपासिका समुदाय के लोगों से मुलाकात की। उन्होंने आंदोलन को मजबूत करने का आश्वासन देते हुए कहा कि 26 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा का घेराव किया जाएगा ताकि BT एक्ट 1949 को रद्द कराया जा सके और महाबोधि महाविहार को ब्राह्मण पंडों एवं पुरोहितों से मुक्त किया जा सके।
क्या है आंदोलन की मांग?
बोधगया में चल रहे इस आंदोलन का उद्देश्य महाबोधि महाविहार की प्रशासनिक व्यवस्था को बौद्ध समुदाय के हाथों में देना है। आंदोलनकारियों का कहना है कि BT एक्ट 1949 के तहत बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) में गैर-बौद्ध सदस्यों को शामिल किया गया है, जिससे बौद्ध धर्मावलंबियों के अधिकारों का हनन हो रहा है। उनका दावा है कि यह बौद्धों के पवित्र स्थल का “ब्राह्मणीकरण” करने की साजिश है।
भीम आर्मी प्रदेश अध्यक्ष अमर ज्योति का बयान
धरना स्थल पर पहुंचे भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष अमर ज्योति ने आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा “महाबोधि महाविहार केवल बौद्ध समुदाय का धार्मिक स्थल है। इसे ब्राह्मण पंडों और पुरोहितों से मुक्त कराना ही इस आंदोलन का लक्ष्य है। BT एक्ट 1949 बौद्ध समाज के खिलाफ एक साजिश है और इसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। बिहार सरकार को जल्द से जल्द इस पर संज्ञान लेना होगा, नहीं तो हम पूरे बिहार में उग्र आंदोलन करेंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि “26 मार्च को आंदोलनकारियों द्वारा बिहार विधानसभा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास का घेराव किया जाएगा ताकि सरकार को इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने के लिए मजबूर किया जा सके”
बुद्ध अनुयायियों की बढ़ती नाराजगी
बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों का कहना है कि बोधगया, जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, उसे बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, वहां आज भी ब्राह्मण पुरोहितों का वर्चस्व बना हुआ है, जो कि बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं के खिलाफ है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि बिहार सरकार इस मुद्दे पर उदासीन रवैया अपनाए हुए है और मंदिर प्रशासन में बौद्ध समाज की हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
क्या है BT एक्ट 1949?
बोधगया मंदिर अधिनियम (BT एक्ट 1949) के अनुसार, महाबोधि मंदिर का प्रबंधन एक समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें हिंदू और बौद्ध दोनों समुदायों के सदस्य होते हैं। इस अधिनियम के तहत मंदिर प्रबंधन समिति में 9 सदस्य होते हैं, जिनमें से 5 हिंदू और 4 बौद्ध होते हैं। बौद्ध संगठनों का कहना है कि इस व्यवस्था के कारण बौद्धों को अपने ही धर्मस्थल पर पूरे अधिकार नहीं मिल रहे हैं, और मंदिर प्रबंधन पर ब्राह्मण पंडों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।
अब आगे क्या?
भीम आर्मी के समर्थन के बाद इस आंदोलन को और मजबूती मिलती दिख रही है। बौद्ध भिक्षु और अनुयायी 26 मार्च को बड़े स्तर पर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। यदि बिहार सरकार ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह मामला और तूल पकड़ सकता है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना संघर्ष जारी रखेंगे।