इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में दक्षिणपंथी समूहों की बढ़ती गतिविधियों का एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को लगभग 50 आदिवासियों को ले जा रही एक यात्री बस को जबरन रोका गया और उसमें सवार एक प्रमुख ईसाई नेता और शिक्षक पर हमला किया गया।
पीड़ित की पहचान जबलपुर के सेंट एलॉयसियस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के संस्थापक फादर जॉर्ज डेविस के रूप में हुई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह हमला पुलिस की मौजूदगी में हुआ, लेकिन हमलावरों को तुरंत रोका नहीं गया।
क्या है पूरा मामला?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, जबलपुर से मंडला जा रही एक बस को दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ताओं ने बीच रास्ते में रोक लिया। उनका आरोप था कि बस में सवार आदिवासियों का धर्मांतरण कराया जा रहा था। इसके बाद उन्होंने फादर जॉर्ज डेविस को बस से नीचे उतारा और उनके साथ गाली-गलौच और मारपीट की।
घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें फादर जॉर्ज को घेरकर कुछ लोग धमकाते नजर आ रहे हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
इस पूरी घटना के दौरान पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि पुलिस ने तुरंत कोई कड़ा कदम नहीं उठाया। बाद में स्थिति बिगड़ने पर फादर को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन हमलावरों को रोकने या गिरफ्तार करने में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।
धर्मांतरण का आरोप या सुनियोजित हमला?
हमलावरों का दावा था कि आदिवासियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा था, लेकिन बस में सवार यात्रियों ने इसे बिल्कुल गलत और झूठा आरोप बताया। उनका कहना है कि वे एक धार्मिक सभा में भाग लेने जा रहे थे और यह हमला सिर्फ धार्मिक भेदभाव और नफरत की वजह से किया गया।
राजनीतिक और सामाजिक हलकों में आक्रोश
इस घटना को लेकर ईसाई समुदाय में भारी नाराजगी है। विपक्षी दलों ने इसे “मध्य प्रदेश में बढ़ती असहिष्णुता और पुलिस की लापरवाही” करार दिया है।
मध्य प्रदेश में बीते कुछ वर्षों से ईसाई समुदाय के खिलाफ हमले बढ़े हैं, खासकर धर्मांतरण विरोधी कानून के बाद से।
क्या होगी कार्रवाई?
फिलहाल, पुलिस ने मामला दर्ज करने की बात कही है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमलावरों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा या फिर यह भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?