इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जनता दल (यूनाइटेड) में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। अब तीन और प्रदेश स्तरीय नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देकर बगावत का संकेत दे दिया है। जेडीयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव आफरीदी रहमान, वरिष्ठ नेता मोहम्मद फिरोज खान, और पूर्व छात्र नेता डॉ. तबरेज हसन ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है।
नेताओं ने इस्तीफा क्यों दिया?
इन नेताओं का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है, लेकिन जेडीयू नेतृत्व ने इस पर मौन साध रखा है। उनका कहना है कि “हमारी असहमति निजी नहीं, बल्कि सिद्धांत की लड़ाई है।”
आफरीदी रहमान का बड़ा कदम
इस्तीफे के बाद आफरीदी रहमान ने अपने घर की नेम प्लेट भी तोड़ दी, जिससे यह साफ है कि वे अब जेडीयू से पूरी तरह अलग हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “हमने पार्टी में रहकर हमेशा अल्पसंख्यकों की आवाज़ उठाई, लेकिन जब पार्टी ने हमारी आवाज़ को दबाना शुरू कर दिया, तो अब वहां रहने का कोई मतलब नहीं।”
मोहम्मद फिरोज खान का बयान
मोहम्मद फिरोज खान ने इस्तीफा देते हुए कहा कि “अब वक्फ बोर्ड और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए हमें नई रणनीति अपनानी होगी।” उन्होंने जेडीयू के मुस्लिम नेताओं से अपील की कि वे भी इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करें।
डॉ. तबरेज हसन की चेतावनी
डॉ. तबरेज हसन, जो जेएनयू के पूर्व छात्र नेता भी रह चुके हैं, ने कहा कि “हम इस लड़ाई को यहीं खत्म नहीं होने देंगे।” उन्होंने आगे कहा, “यह इस्तीफा हमारी जिम्मेदारी का अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है। हम अब और मजबूती से अपने हक के लिए लड़ेंगे।”
जेडीयू में और इस्तीफे संभव?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी के भीतर और मुस्लिम नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में और इस्तीफे हो सकते हैं, जिससे जेडीयू की अल्पसंख्यक राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है।