इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
हाल ही में पारित वक्फ संशोधन बिल (उम्मीद बिल) को लेकर देश में विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) ने वरिष्ठ वकील अदील अहमद के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया है कि बिल की धारा 40 प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन करती है और वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों में अनावश्यक हस्तक्षेप करती है।
APCR ने कहा “यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता में दखल देता है और वक्फ की सदियों पुरानी इस्लामी परंपरा को कमजोर करता है, जो क़ुरान और हदीस में निहित है। किसी भी कुप्रबंधन को सुधारों के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है, न कि संपूर्ण तंत्र में बदलाव करके।”
इसी बीच, दिल्ली के आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि यह बिल धार्मिक स्वायत्तता को प्रभावित करता है और अल्पसंख्यक समुदाय की संवैधानिक सुरक्षा को कमजोर करता है।
वक्फ संशोधन बिल में केंद्र सरकार को वक्फ संपत्तियों के अधिग्रहण, पुनर्वर्गीकरण और वक्फ बोर्डों के कार्यों में अधिक हस्तक्षेप की शक्ति प्रदान की गई है। आलोचकों का मानना है कि इससे वक्फ बोर्डों की स्वायत्तता और पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है।
देशभर में कई मुस्लिम संगठनों, उलेमाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस विधेयक के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि यह मामला केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और समुदाय की विरासत की सुरक्षा का भी है।
सुप्रीम कोर्ट में दोनों याचिकाओं की सुनवाई की तिथि अभी निर्धारित नहीं हुई है। यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का प्रमुख विषय बना रहेगा।