इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एस.डी.पी.आई.) ने ग़ाज़ा में इज़राइल द्वारा जारी नरसंहार और बर्बर हमलों की कड़ी निंदा करते हुए अमेरिका और वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की भूमिका की सख्त आलोचना की है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद शफी ने एक प्रेस बयान में कहा कि 7 अप्रैल 2025 तक इज़राइली हमलों में 50,000 से ज़्यादा फिलिस्तीनी शहीद और लगभग 20 लाख लोग बेघर हो चुके हैं, जो वैश्विक ज़मीर के लिए एक खुला चैलेंज है।
बच्चों की हत्या, डॉक्टरों पर गोलियां — इंसानियत के खिलाफ़ अपराध
एस.डी.पी.आई. ने आरोप लगाया कि इज़राइल द्वारा की गई बमबारी में छोटे-छोटे बच्चों के शव चिथड़े हो गए, अस्पतालों के डॉक्टरों और राहत कर्मियों को गोली मार दी गई, और हज़ारों परिवार ढही हुई इमारतों के नीचे दबकर मारे गए। पार्टी के मुताबिक़, यह सब इंसानियत के ख़िलाफ़ संगठित अपराध है, और अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की खामोशी इन अपराधों को बढ़ावा दे रही है।
अमेरिका और माइक्रोसॉफ्ट पर गंभीर आरोप
एस.डी.पी.आई. ने स्पष्ट किया कि अमेरिका न केवल इज़राइल को हथियार दे रहा है, बल्कि फिलिस्तीनी जनता को जबरन सूडान और सोमालिया जैसे अफ्रीकी देशों में विस्थापित करके नस्ली सफाई की नीति को बढ़ावा दे रहा है। पार्टी ने दावा किया कि इस योजना पर 7 अप्रैल को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच चर्चा हुई थी।
टेक्नोलॉजी दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट को भी पार्टी ने निशाने पर लिया, जो 133 मिलियन डॉलर के करार के तहत इज़राइल को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस उपकरण प्रदान कर रहा है, जो ग़ाज़ा में तबाही फैलाने वाली मशीनरी को ऊर्जा दे रहे हैं।
वान्या अग्रवाल और इबतिहाल अबूसअद को सलाम
एस.डी.पी.आई. ने बहादुर टेक विशेषज्ञ वान्या अग्रवाल और इबतिहाल अबूसअद की हिम्मत को सलाम किया, जिन्होंने माइक्रोसॉफ्ट की 50वीं वर्षगांठ समारोह में ग़ाज़ा में हो रहे नरसंहार के ख़िलाफ़ विरोध दर्ज कराया। वान्या ने ज़ोर से कहा: “50,000 फिलिस्तीनी माइक्रोसॉफ्ट की बनाई टेक्नोलॉजी से मारे गए हैं।” इबतिहाल ने भी AI हथियारों के ख़िलाफ़ जोरदार स्टैंड लिया और कंपनी की नीति की तीव्र आलोचना की। दोनों ने माइक्रोसॉफ्ट से इस्तीफ़ा देकर एक मज़बूत नैतिक संदेश दिया है।
भारतीय जनता से अपील
एस.डी.पी.आई. ने सभी इंसाफ़पसंद भारतीयों से अपील की है कि वे ग़ाज़ा के पीड़ितों के साथ खड़े हों और इज़राइल, अमेरिका व माइक्रोसॉफ्ट के इस क्रूर गठजोड़ के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करें, जो फिलिस्तीनी खून पर मुनाफ़ा कमा रहा है।