इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
केंद्र सरकार द्वारा बिना व्यापक बहस के डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल पारित किए जाने के विरोध में सोमवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में इंडिया ब्लॉक की ओर से एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस दौरान वक्ताओं ने इस बिल को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजता के अधिकार पर हमला बताया।
इंडिया ब्लॉक के नेताओं, डिजिटल अधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने एकजुट होकर बिल के खतरनाक प्रावधानों की ओर ध्यान दिलाया और कहा कि यह कानून आम नागरिकों की निजता को छीनने और सरकारी निगरानी को वैध बनाने का माध्यम बन सकता है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में वक्ताओं ने बताया कि इस बिल को संसद में बिना समुचित बहस और संसदीय समिति को भेजे ही पारित किया गया, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि नागरिकों के डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के नाम पर सरकार मनमानी निगरानी और सेंसरशिप को कानूनी जामा पहनाना चाहती है।
केंद्रीय मंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
इंडिया ब्लॉक की ओर से केंद्रीय सूचना एवं प्रोद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें इस बिल को रद्द करने और व्यापक परामर्श के साथ नया मसौदा तैयार करने की मांग की गई है। ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार को पारदर्शिता और सार्वजनिक भागीदारी के साथ कानून बनाना चाहिए, ना कि जबरन थोपना।
विरोध जारी रहेगा
इंडिया ब्लॉक ने साफ किया है कि अगर सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती, तो देशभर में जनजागरण अभियान और विरोध प्रदर्शन तेज़ किए जाएंगे। वक्ताओं ने यह भी कहा कि नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए हर मंच पर आवाज़ उठाई जाएगी।
डिजिटल युग में जहां डेटा ही सबसे बड़ा संसाधन है, वहीं सरकार द्वारा बिना चर्चा के बनाए गए कानूनों से लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है। इंडिया ब्लॉक का यह विरोध इस बात का संकेत है कि आम जनता अपनी निजता और अभिव्यक्ति के अधिकार को लेकर सजग है और किसी भी तरह की सेंसरशिप का विरोध करती है।