इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के मेलपथी गांव में स्थित श्री धर्मराजा द्रौपदी अम्मन मंदिर आखिरकार गुरुवार सुबह श्रद्धालुओं के लिए फिर से खोल दिया गया। यह मंदिर लगभग एक साल 10 महीने तक बंद रहा। मंदिर को 7 जून 2023 को उस समय सील कर दिया गया था जब 7 अप्रैल 2023 को एक त्यौहार के दौरान मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे दलित परिवार के चार सदस्यों पर जातीय हिंसा की गई थी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मंदिर का द्वार खुला
मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर को 18 अप्रैल की सुबह 6 बजे आम जनता के लिए खोल दिया गया। शुरुआत में कुछ सवर्ण हिंदू मंदिर में प्रवेश किए, उसके बाद लगभग 80 दलित श्रद्धालुओं ने भी मंदिर में पूजा की। दलितों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वी. थिरुमल और अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
आस्था पर लगी रोक हटी, लेकिन जख्म अब भी ताज़ा
मंदिर को सुबह 7 बजे तक खुला रहना था, लेकिन श्रद्धालुओं की भावनाओं को देखते हुए इसे अतिरिक्त 45 मिनट तक, यानी सुबह 7:45 बजे तक खोला गया। यह पुनः उद्घाटन सिर्फ एक पूजा का आयोजन नहीं था, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता के संघर्ष की जीत भी था।
पृष्ठभूमि: जब मंदिर बना जातिगत भेदभाव का प्रतीक
पिछले वर्ष, मेलपथी में दलित समुदाय के कुछ सदस्यों ने मंदिर में त्योहार के अवसर पर प्रवेश करने की कोशिश की थी। इस प्रयास के दौरान चार दलितों पर कथित रूप से सवर्ण जाति के लोगों ने हमला कर दिया था। इसके बाद प्रशासन ने मंदिर को सील कर दिया था। यह मामला न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था, और दलित समुदाय ने लगातार मंदिर तक समान पहुंच की मांग उठाई।
सवाल अभी बाकी हैं…
क्या यह घटना जातीय भेदभाव के खिलाफ एक स्थायी संदेश दे पाएगी?
क्या प्रशासन भविष्य में ऐसे मुद्दों पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करेगा?
क्या यह मंदिर अब सभी समुदायों के लिए सच्चे अर्थों में समर्पित स्थान बन पाएगा?
मेलपथी गांव में मंदिर के खुलने के साथ एक नई शुरुआत की उम्मीद जगी है। अब देखना होगा कि यह शुरुआत सामाजिक समरसता को कितना मजबूत कर पाती है।