कर्नाटका में उलेमा संगठन का ऐतिहासिक विरोध प्रदर्शन, लाखों ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ उठाई आवाज

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

कर्नाटका के मंगलुरु में शाह ग्राउंड्स पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसमें लाखों लोग ‘उलेमा कोऑर्डिनेशन कर्नाटका’ के बैनर तले केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय राजमार्ग 73 के पास हुआ, जहां क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक नेताओं के अलावा, धार्मिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी शिरकत की।

वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ गंभीर आपत्तियाँ

प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन कानून से मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा, जिससे उनकी स्वतंत्रता और अधिकारों का उल्लंघन होगा। उलेमा संगठनों का कहना है कि इस कानून से वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती होगी, और मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं की प्रशासनिक स्वायत्तता खतरे में पड़ सकती है।

उलेमा कोऑर्डिनेशन कर्नाटका का प्रदर्शन

‘उलेमा कोऑर्डिनेशन कर्नाटका’ द्वारा आयोजित इस विरोध प्रदर्शन में राज्यभर से हजारों लोग जुटे थे। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां और पोस्टर पकड़े हुए थे, जिन पर वक्फ कानून के खिलाफ नारें लिखे गए थे। इस दौरान कर्नाटका के प्रमुख धार्मिक नेता और उलेमा ने संबोधन दिया और कहा कि यह कानून मुस्लिम समाज के खिलाफ एक साजिश है, जो समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को खत्म करने की दिशा में एक कदम है।

प्रदर्शनकारियों की मांग

प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह वक्फ संशोधन कानून को वापस ले और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड का स्वतंत्र और स्वतंत्र रूप से काम करना जरूरी है ताकि धार्मिक स्थलों की देखरेख और संचालन सही तरीके से किया जा सके।

पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पुलिस ने फिर भी भीड़ पर कड़ी निगरानी रखी और कोई भी अप्रिय घटना न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए।

सवाल उठते हैं…

क्या वक्फ संशोधन कानून मुस्लिम समाज के धार्मिक अधिकारों को कमजोर करेगा?
क्या इस तरह के विरोध प्रदर्शनों से केंद्र सरकार पर दबाव बनेगा और क्या वह इस कानून में संशोधन करेगा?

सरकार और प्रशासन को इन विरोधों को गंभीरता से लेना चाहिए और समुदाय के साथ संवाद स्थापित कर इस मसले का समाधान करना चाहिए, ताकि देश में सामूहिक समरसता बनी रहे।

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