इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जनता दल यूनाइटेड (JDU) को उस समय बड़ा राजनीतिक झटका लगा जब पार्टी के वरिष्ठ नेता, किशनगंज से पूर्व विधायक और ज़िला अध्यक्ष मास्टर मुजाहिद आलम ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। उनका यह क़दम हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक पर JDU द्वारा संसद में दिए गए समर्थन के खिलाफ विरोधस्वरूप आया है।
मास्टर मुजाहिद आलम ने वक्फ विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों और संस्थानों पर सीधा हमला बताया है। उन्होंने JDU के स्टैंड से असहमति जताते हुए इसे मुस्लिम समाज की भावनाओं के ख़िलाफ़ बताया और पार्टी से अपने रिश्ते को समाप्त कर दिया।
इससे पहले भी JDU के कई ज़िला व प्रदेश स्तर के नेताओं ने वक्फ कानून पर पार्टी की भूमिका से नाराज़ होकर इस्तीफ़ा दिया है, मगर मास्टर मुजाहिद आलम का इस्तीफ़ा इसलिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि वे न सिर्फ़ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे हैं बल्कि सीमांचल की राजनीति में एक मज़बूत प्रभाव भी रखते हैं।
बिल पास होने के बाद मास्टर मुजाहिद आलम ने फुलवारी शरीफ़ स्थित इमारत-ए-शरीया पहुंचकर आमीर-ए-शरीअत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी से मुलाक़ात भी किया था। इस मुलाक़ात में वक्फ कानून और उससे जुड़ी संवेदनशीलता पर विस्तार से चर्चा की गई। बताया जा रहा है कि इस दौरान उन्होंने मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और शैक्षिक संस्थाओं के संरक्षण व अधिकारों को लेकर चिंता जताई और संभावित जनजागरूकता अभियान पर भी विचार किया।
राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा है कि मास्टर मुजाहिद आलम का यह निर्णय बिहार की मुस्लिम राजनीति में एक नई दिशा और विमर्श को जन्म दे सकता है। उनके अगले क़दम पर सबकी निगाहें टिकी हैं।