इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में उर्दू माध्यम स्कूलों के अस्तित्व को समाप्त करने की कोशिशों पर राष्ट्रीय शिक्षक संगठन बिहार ने जोरदार और संगठित विरोध दर्ज कराते हुए एक बड़ी सफलता हासिल की है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सेकेंडरी स्कूलों में कक्षा 6 से शिक्षा शुरू करने का निर्देश जारी किया गया, जिसके पहले चरण में बिहार के 836 स्कूलों को पीएम श्री योजना में शामिल किया गया। योजना के तहत मिडिल स्कूलों को नजदीकी सेकेंडरी स्कूलों में विलय करने का आदेश दिया गया, लेकिन कुछ अफसरों और शिक्षकों ने इस मौके का गलत फायदा उठाते हुए उर्दू स्कूलों को निशाना बनाने की साज़िश शुरू कर दी۔
राष्ट्रीय शिक्षक संगठन बिहार के राज्य संयोजक मोहम्मद रफ़ी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए शिक्षा विभाग, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा निदेशकों को पत्र भेजकर उर्दू स्कूलों के विलय के निर्णय का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि उर्दू स्कूलों की शैक्षणिक भाषा उर्दू है और इनके सभी रिकॉर्ड भी उर्दू में होते हैं, इसलिए इन स्कूलों को हिंदी माध्यम स्कूलों में विलय करना संविधान और न्याय दोनों के खिलाफ है।
मुजफ्फरपुर के उर्दू गर्ल्स मिडिल स्कूल पक्की सराय चंदवारा को मारवाड़ी हाई स्कूल में विलय करने की सूचना मिलने पर मोहम्मद रफ़ी ने तुरंत हाई कोर्ट के वकील से परामर्श लिया और जिला शिक्षा पदाधिकारी मुजफ्फरपुर को पत्र लिखा। इसके बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन जनाब अब्दुस्सलाम अंसारी से संपर्क कर उनसे अनुरोध किया कि इस संबंध में शीघ्र दिशा-निर्देश जारी किया जाए। उनके प्रयासों से 16 अप्रैल को वह पत्र जारी हुआ जिसमें स्पष्ट निर्देश दिया गया कि उर्दू स्कूलों को हिंदी सेकेंडरी स्कूलों में विलय नहीं किया जाएगा।
इस सफलता पर राष्ट्रीय शिक्षक संगठन बिहार के अध्यक्ष ताजुल आरिफीन, सचिव मोहम्मद ताजुद्दीन, कोषाध्यक्ष मोहम्मद हम्माद और अन्य राज्य व जिला पदाधिकारियों ने मोहम्मद रफ़ी और अब्दुस्सलाम अंसारी का आभार व्यक्त किया। मोहम्मद रफ़ी ने उर्दू शिक्षकों से अपील की कि वे निर्भय होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएं, अफसरों से संपर्क करें और यदि ज़रूरत हो तो उनके नंबर 7091937560 पर सीधे संपर्क करें।
उन्होंने कहा, “उर्दू स्कूलों की हिफाज़त केवल हमारा कर्तव्य नहीं बल्कि हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। एकता में ही ताकत है।”