इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भारत और पाकिस्तान के बीच हालात एक बार फिर से बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद दोनों देशों के संबंधों में तीव्र गिरावट देखने को मिल रही है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है। जवाब में पाकिस्तान ने भी कड़े कदम उठाए हैं।
पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद वाघा बॉर्डर को तत्काल प्रभाव से बंद करने और 1972 के शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा की गई। पाकिस्तान ने भारत द्वारा 23 अप्रैल को घोषित कदमों को “एकतरफा, अन्यायपूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित और अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध” बताया है।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जब तक भारत “आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता”, सीमा पार हत्याएं रोकता नहीं और संयुक्त राष्ट्र के कश्मीर से जुड़े प्रस्तावों का पालन नहीं करता—तब तक पाकिस्तान सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित रखेगा।
इस बीच बीएसएफ के कांस्टेबल पी.के. सिंह को पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया है। घटना बुधवार को उस समय घटी जब फाजिल्का के फिरोजपुर सेक्टर में सीमा की शून्य रेखा के पास तैनात किसान गार्ड दस्ते के जवान पी.के. सिंह गश्त कर रहे थे। बताया जा रहा है कि तेज धूप के कारण वह छांव में रुकने लगे और अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघ गए। वह वर्दी में थे और उनके पास सर्विस रायफल भी थी।
बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच अटारी-वाघा बॉर्डर पर फ्लैग मीटिंग बुलाई गई है ताकि कांस्टेबल सिंह की रिहाई सुनिश्चित की जा सके। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं और इन्हें सामान्यतः सैन्य या राजनयिक स्तर पर सुलझा लिया जाता है।
भारत ने भी हाल ही में पाकिस्तान के नागरिकों के लिए वीज़ा निलंबित कर दिया है और एलओसी व अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है।
इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच के रिश्तों को एक बार फिर संघर्ष की कगार पर पहुंचा दिया है, और दक्षिण एशिया में शांति की संभावनाओं को गहरा झटका लगा है।