इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक 40 वर्षीय दलित महिला के साथ दो दरिंदों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, जबकि उसका चार वर्षीय बेटा यह भयावह दृश्य देखता रहा। यह घटना 17 अप्रैल को हुई, लेकिन पीड़िता ने डर के बाद पुलिस में शिकायत करने की हिम्मत इस हफ्ते जुटाई।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा कि वह अपने बेटे को बाल कटवाने के बाद घर लौट रही थी, तभी आरोपी रामजी यादव और एक अज्ञात साथी ने उसे पुल के पास रोक लिया। “उन्होंने मुझे ₹20,000 का ऋण देने का लालच देकर अपने साथ बाइक पर बैठाया,” महिला ने पुलिस को बताया।
आरोपियों ने महिला और उसके बेटे को एक सुनसान खेत में ले जाकर बारी-बारी से दुष्कर्म किया। “उन्होंने मेरे बेटे के सिर पर देशी पिस्टल रखी और धमकी दी कि अगर मैंने मदद के लिए चिल्लाया तो उसके दिमाग को उड़ा देंगे,” पीड़िता ने अधिकारियों को बताया।
जातीय आधार पर अपराध
आरोपी दोनों जातिवादी मानसिकता के होने के कारण दुष्कर्म के दौरान जातिवाद से जुड़ी गालियाँ भी देते रहे। पुलिस के अनुसार, उन्होंने यह भी कहा, “तुम दलित महिलाओं के लिए ही होती हो।”
इस वीभत्स अपराध ने समाज के सबसे कमजोर वर्ग के प्रति असहिष्णुता और जातिवाद के खतरनाक रूप को उजागर किया है। आरोपी अभी भी फरार हैं, और पुलिस उनकी गिरफ्तारी के प्रयासों में जुटी हुई है।
समाज और पुलिस की जिम्मेदारी
यह घटना समाज के लिए एक कड़ा संदेश देती है कि हमें न केवल महिलाओं और बच्चों के प्रति सुरक्षा की भावना पैदा करनी होगी, बल्कि हमें जातिवाद और असमानता के खिलाफ भी एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। इस मामले में पुलिस की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इतनी गंभीर घटना के बाद भी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया गया है।
न्याय की उम्मीद
समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वाली महिलाओं को जब इस तरह के अत्याचार का सामना करना पड़ता है, तो उन्हें न्याय मिलने में समय लगता है। हालांकि, इस घिनौनी घटना के बाद स्थानीय लोग और मानवाधिकार संगठन पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए खड़े हो गए हैं।
यह घटना न केवल मैनपुरी बल्कि पूरे प्रदेश में महिला सुरक्षा और जातिवाद के मुद्दे पर एक गंभीर बहस को जन्म देती है।