वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुजफ्फरपुर की सड़कों पर ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया ज्ञापन

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ आज मुजफ्फरपुर की सड़कों पर जबरदस्त जनसैलाब उमड़ पड़ा। “वक्फ बचाओ-आइन्स बचाओ संयुक्त मोर्चा” और “इंसाफ मंच” के बैनर तले हजारों लोगों ने शांतिपूर्ण जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया। इस जुलूस का नेतृत्व इमारत ए शरीया बिहार, ओडिशा व झारखंड के नायब नाज़िम मुफ्ती सना उल हुदा कासमी ने किया।

यह जुलूस जेल चौक, चंदवारा, पक्की सराय, बनारस बैंक चौक, दामोदरपुर, ब्रह्मपुरा, जोरन छपरा, मारीपुर, भगवानपुर, चक अब्दुल वाहिद, मठनपुरा, सादपुरा, गोशाला, रामबाग, चक बासु, महाराजी पोखर, सराय सैयद अली, स्पीकर चौक, पंखा टोली, बहलखाना, इस्लामपुर और टाउन के कई अन्य इलाकों तथा गांवों से होकर मुजफ्फरपुर क्लब पहुँचा।

जुलूस में शामिल लोगों ने अपने हाथों में तख्तियाँ थाम रखी थीं, जिन पर “वक्फ कानून वापस लो”, “संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करो” और “पहलगाम के जख्मों को मत भूलो” जैसे नारे लिखे थे। एक प्रमुख नारा “मुजफ्फरपुर की पुकार, वक्फ कानून बेकार” ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।

विरोध प्रदर्शन की मुख्य बातें

प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वक्फ संशोधन कानून के जरिए मुसलमानों के धार्मिक और परोपकारी संस्थानों पर कब्जा करने की साजिश की जा रही है।

राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन जिला पदाधिकारी को सौंपा गया, जिसमें कानून को तुरंत वापस लेने की मांग की गई।

वक्ताओं ने कहा कि यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है और साथ ही शरीयत के भी खिलाफ है।

प्रमुख प्रतिभागी

मुफ्ती सना उल हुदा कासमी, मौलाना आल हसन, मुफ्ती मतीउर रहमान, मौलाना असअद यावर, डॉ. महमूदुल हसन, प्रोफेसर फारूक अहमद सिद्दीकी, पूर्व डिप्टी मेयर सैयद माजिद हुसैन, मुजफ्फरपुर इमारत ए शरीया के अध्यक्ष मोहम्मद शोएब, इंजीनियर जफर आजम रब्बानी, आफताब आलम, कामरान रहमानी, एजाज अहमद, खालिद रहमानी, मोहम्मद इश्तियाक, आरिफ हुसैन, तौसीफ आलम, पर्शुराम पाठक, होरील राय, शफीकुर्रहमान, मुफ्ती शमीम कादरी, मुफ्ती इरफान कासमी, मनव्वर आजम, डॉ. मुनीब मुजफ्फरपुरी, वसीम अहमद मना, कारी ज़की इमाम और अन्य प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता।

वक्ताओं के महत्वपूर्ण बयान

इंसाफ मंच के नेता आफताब आलम ने कहा,
“यह कानून मुसलमानों को उनके धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन अधिकार से वंचित करने की साजिश है। हम लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से इस कानून को वापस करवा कर रहेंगे।”

इंजीनियर जफर आजम रब्बानी ने कहा,
“वक्फ दानकर्ता के लिए ‘पाँच साल का अमली मुसलमान’ होने की शर्त संविधान के अनुच्छेद 25 और इस्लामी शिक्षाओं दोनों का अपमान है।”

प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर सरकार से माँग की कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा और संवैधानिक अधिकारों के सम्मान के लिए वक्फ संशोधन कानून को तत्काल वापस लिया जाए।

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