इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
झारखंड के बोकारो जिले के कद्रुखुट्टा गांव में 22 वर्षीय युवक अब्दुल कलाम की मॉब लिंचिंग के बाद स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। गुरुवार को हुई इस घटना के बाद शुक्रवार को ग्रामीणों ने पेंक नारायणपुर थाना का घेराव किया और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
घटना का विवरण
अब्दुल कलाम, जो पेंक गांव का निवासी और दैनिक मजदूरी करने वाला था, पर एक महिला से छेड़छाड़ का आरोप लगा। महिला के शोर मचाने पर उसके परिजनों और अन्य ग्रामीणों ने अब्दुल को पकड़ लिया, उसे बांधा और बेरहमी से पीटा। एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि भीड़ अब्दुल को डंडों से पीट रही है और वह पानी मांग रहा है। बाद में गंभीर रूप से घायल अब्दुल की मौत हो गई।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है और अन्य की पहचान की जा रही है। बोकारो के पुलिस अधीक्षक मनोज स्वर्गीयारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है और पुलिस मुख्यालय से मिले दिशा-निर्देशों के अनुसार आगे की कार्रवाई की जा रही है।
परिवार का बयान
अब्दुल कलाम के चचेरे भाई मोहम्मद इकबाल ने बताया कि अब्दुल अपनी विकलांग मां का इकलौता सहारा था। उन्होंने कहा कि वीडियो में 15 से अधिक लोग दिख रहे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ चार की गिरफ्तारी हुई है और वह भी जनता के दबाव में।
स्थानीय आक्रोश
घटना के बाद इलाके में तनाव व्याप्त है। ग्रामीणों ने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक सभी दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
यह घटना झारखंड में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं की एक और कड़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं कानून व्यवस्था और सामाजिक समरसता दोनों के लिए खतरनाक संकेत हैं। अब सवाल उठता है कि क्या हम भीड़ के न्याय को स्वीकार करेंगे या संविधान और कानून के तहत न्याय सुनिश्चित करेंगे?