इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
कर्नाटक सरकार ने राज्य के दक्षिण कन्नड़ ज़िले में अब्दुल रहीम की निर्मम हत्या के बाद बिगड़ते सांप्रदायिक हालात को गंभीरता से लेते हुए विशेष कार्रवाई बल (Special Action Force – SAF) के गठन की घोषणा की है। सरकार का दावा है कि यह बल राज्य में सांप्रदायिक घटनाओं और अस्थिरता से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए तैनात किया जाएगा।
सप्ताह की शुरुआत में दक्षिण कन्नड़ में 38 वर्षीय अब्दुल रहीम की संदिग्ध सांप्रदायिक हमले में हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया। स्थानीय मुस्लिम समुदाय ने पुलिस पर साफ जांच न करने और हमलावरों को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर विरोध तेज़ हुआ, और कई नागरिक संगठनों ने कार्रवाई की मांग की।
कर्नाटक के गृह मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नए गठित विशेष कार्रवाई बल में डीआईजीपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 248 सुरक्षाकर्मी होंगे। यह बल विशेष रूप से हिंसक झड़पों, सांप्रदायिक तनाव और संवेदनशील इलाकों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित रहेगा।
गृह मंत्री ने कहा :“हम सांप्रदायिक तत्वों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। विशेष बल संवेदनशील ज़िलों में तैनात रहेगा और ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत काम करेगा।”
हालांकि सरकार के इस फैसले को कुछ हलकों में “देर से लिया गया कदम” बताया गया है। विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि “विशेष बल से पहले दोषियों की गिरफ्तारी ज़रूरी है।”
दक्षिण कन्नड़, उडुपी और चिकमंगलूर जैसे जिलों में पिछले कुछ वर्षों से लगातार सांप्रदायिक घटनाएं सामने आती रही हैं। इनमें गो-तस्करी के नाम पर हिंसा, धार्मिक नफरत वाले पोस्ट और टारगेटेड हत्याएं शामिल हैं। अब्दुल रहीम की हत्या ने इन पुराने ज़ख्मों को फिर से हरा कर दिया है।
सरकार का विशेष बल गठित करने का फैसला स्वागतयोग्य हो सकता है, लेकिन अगर पीड़ितों को न्याय, दोषियों को सज़ा और सामूहिक विश्वास की बहाली नहीं हुई, तो यह प्रयास ज़मीनी हकीकत को नहीं बदल पाएगा।