इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
ईमारत-ए-शरीआ बिहार, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के अमीर-ए-शरीअत, खानकाह रहमानी मोंगेर के सज्जादा नशीन,मौलाना सय्यद अहमद वली फैसल रहमानी ने आज अपने मुज़फ्फरपुर दौरे के दौरान राज्य के एक प्रमुख, ऐतिहासिक और रूहानी दारुल उलूम “मदरसा इस्लामिया जामिअल उलूम, मुज़फ्फरपुर” की ज़ियारत की। इस मौके पर मदरसे के ज़िम्मेदारान और प्रशासनिक सदस्यों ने अमीर-ए-शरीअत का गर्मजोशी और अदब से इस्तक़बाल किया।
मदरसे के सरपरस्त-ए-आला, बुज़ुर्ग, शेखुल हदीस मौलाना इश्तियाक़ अहमद क़ासमी, जो कि शेख मौलाना मुहम्मद ज़करिया कंधलवी रह. के खलीफा और दारुल उलूम देवबंद की मजलिस-ए-शूरा के रुक्न हैं, ने अपने हुजरे में अमीर-ए-शरीअत का पुरखुलूस अंदाज़ में इस्तक़बाल किया। इस मौके पर जामिअल उलूम और खानकाह रहमानी के रूहानी और इल्मी रिश्तों पर दिल से बातें हुईं।
मौलाना इश्तियाक़ क़ासमी ने कहा कि अमीर-ए-शरीअत मौलाना सय्यद मिन्नतुल्लाह रहमानी रह. जब मुज़फ्फरपुर तशरीफ़ लाते तो जामिअल उलूम ही में क़याम फरमाते थे। सातवें अमीर-ए-शरीअत मौलाना सय्यद मोहम्मद वली रहमानी रह. की भी यहां आमद हो चुकी है। आज की आमद ने दिल को ख़ुशी से भर दिया और पुराने रिश्तों की खुशबू फिर से ताज़ा हो गई।
अमीर-ए-शरीअत मौलाना सय्यद अहमद वली फैसल रहमानी साहब ने भी वादा किया कि इंशा अल्लाह आगे भी इस रूहानी मरकज़ में हाज़िरी का मौक़ा मिलता रहेगा। असर की नमाज़ अमीर-ए-शरीअत ने मदरसे की जामा मस्जिद में ही अदा की। नमाज़ से पहले मौलाना इश्तियाक़ अहमद साहब ने खुद आगे बढ़कर अमीर-ए-शरीअत का हाथ थामा और अपने पहलू में बिठाया।
नमाज़ के बाद भी शेख ने खुद उन्हें मस्जिद से बाहर तक रुख्सत किया। इस दौरान अमीर-ए-शरीअत, मौलाना इश्तियाक़ अहमद साहब की ख़ुश-अख़लाक़ी, ताज़ीम और मुहब्बत से बहुत मुतास्सिर नज़र आए।
बाद में अमीर-ए-शरीअत ने मदरसे के मशहूर मुहद्दिस मुफ्ती मुहम्मद इक़बाल क़ासमी साहब से मदरसे की मौजूदा इल्मी, दीनी और तरबियती सरगर्मियों पर तफ्सीली बातचीत की। इस मौके पर मुफ्ती साहब ने भी खानकाह रहमानी से अपने जज़्बाती ताल्लुक का ज़िक्र किया। अमीर-ए-शरीअत ने उन्हें खानकाहे रहमानी मोंगेर तशरीफ़ लाने की दावत भी दी।
इसके अलावा, अमीर-ए-शरीअत ने दारुल क़ज़ा ईमारत-ए-शरीआ मुज़फ्फरपुर का मुआइना भी किया और काज़ी-ए-शरीअत मौलाना क़ैसर साहब से काज़ा से जुड़े मसलों और खिदमात पर मशविरा किया। बाद में अमीर-ए-शरीअत अगले सफ़र के लिए रवाना हो गए। इस मौके पर मौलाना इश्तियाक़ साहब ने, अपनी बीमारी और कमजोरी के बावजूद, खुद बाहर आकर अमीर-ए-शरीअत को रुख्सत किया — जो उनके गहरे अख़लास की गवाही है।