अलीगढ़ में AMU से छीनी 41 बीघा जमीन: 80 साल पुराना कब्जा खत्म, फ्लाईओवर प्रोजेक्ट के लिए कार्रवाई

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) और नगर निगम के बीच 41 बीघा जमीन को लेकर दशकों पुराना विवाद उस समय चरम पर पहुंच गया, जब 30 अप्रैल 2025 को नगर निगम और जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई कर इस जमीन को AMU से वापस ले लिया। यह जमीन, जो AMU के राइडिंग क्लब का हिस्सा थी और लगभग 80 वर्षों से विश्वविद्यालय के कब्जे में थी, अब नगर निगम के नियंत्रण में है।

*फ्लाईओवर प्रोजेक्ट से शुरू हुआ विवाद

यह विवाद उस समय सामने आया जब सरकार ने अलीगढ़ में एक फ्लाईओवर प्रोजेक्ट के लिए जमीन चिह्नित की। मार्च 2023 में, जब प्रशासन ने फ्लाईओवर के लिए खंभे स्थापित करने की कोशिश की, तो AMU ने अनुमति देने से इनकार कर दिया और दावा किया कि यह जमीन उनकी है। हालांकि, जिला प्रशासन की जांच में पाया गया कि AMU के पास इस जमीन पर मालिकाना हक साबित करने के लिए कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं हैं।

जिला प्रशासन के एक सूत्र ने बताया, “AMU ने कभी इस जमीन को अपने नाम पर रजिस्टर नहीं कराया और न ही इसका नाम आधिकारिक रिकॉर्ड में शामिल किया। इस वजह से प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।”

AMU का दावा और कानूनी कदम

AMU ने इस कार्रवाई को गलत ठहराते हुए दावा किया है कि यह जमीन उनकी वैधानिक संपत्ति है और वे इसे राइडिंग क्लब के लिए उपयोग करते रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाने की बात कही है। AMU के छात्रों ने भी इस कार्रवाई के खिलाफ 2 मई को कैंपस में विरोध प्रदर्शन किया और सिर सैयद गेट पर एक ज्ञापन सौंपा।

नगर निगम का पक्ष

नगर आयुक्त ने दावा किया कि AMU ने न केवल इस 41 बीघा जमीन पर, बल्कि नगर निगम की अन्य जमीनों पर भी कब्जा कर रखा है। उन्होंने कहा, “हम इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, अन्य जमीनों को भी मुक्त कराया जाएगा।”

वक़्फ़ बोर्ड का कोण

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि AMU ने वक़्फ़ बोर्ड की मदद से इस जमीन पर कब्जा किया था। सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई को योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि ₹126 करोड़ की इस जमीन को 80 साल बाद मुक्त कराया गया है

छात्रों और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

AMU के छात्रों ने इस कार्रवाई को विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बताया है, जबकि कुछ स्थानीय लोग इसे नगर निगम की जमीन वापस लेने की जायज कार्रवाई मान रहे हैं। इतिहासकार राहत अबरार, जो अलीगढ़ आंदोलन के विशेषज्ञ हैं, ने इस मामले में AMU के दावे का समर्थन किया है।

आगे की दिशा

यह मामला अब कानूनी दांवपेच की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि AMU ने अदालत में जाने की योजना बनाई है। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि फ्लाईओवर प्रोजेक्ट शहर के विकास के लिए जरूरी है और इसमें कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का समाधान जल्द करना जरूरी है ताकि अलीगढ़ में तनाव और बढ़े नहीं।

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