इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में सेना के जवानों द्वारा एक इंडिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) के प्रोफेसर लियाकत अली की कथित पिटाई ने गंभीर सवाल उठाए हैं। यह घटना उस समय हुई जब प्रोफेसर लियाकत अली अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे। उनके साथ हुई यह घटना गांव लम के पास नौशेरा क्षेत्र में गुरुवार रात हुई।
सेना के जवानों ने बिना पूछताछ किए किया हमला
लियाकत अली, जो दिल्ली में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं और गज्जर जनजाति से संबंधित हैं, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में आरोप लगाया कि सेना के जवानों ने बिना किसी उचित पूछताछ के उन पर हमला किया। उन्होंने कहा, “उन्होंने हमें ठीक से जांचे बिना ही मारना शुरू कर दिया। उन्होंने राइफल से मुझे सिर पर मारा और मुझे नाले में धक्का दे दिया।”
सिर पर गंभीर चोटें, सात टांके लगाए गए
लियाकत अली को सिर पर गंभीर चोटें आईं और उन्हें सात टांके लगाने पड़े। उनकी पिटाई के बाद उनके शरीर पर चोट के निशान भी दिखे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला काफी गंभीर था।
घटना पर सेना का बयान
भारतीय सेना ने इस घटना के बाद एक जांच का आदेश दिया है। सेना ने कहा कि यह घटना “मामूली अनवांछनीय घटना” हो सकती है, और वे इसकी गहन जांच करेंगे। हालांकि, यह घटना सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाती है, जो नागरिकों के साथ शांति से व्यवहार करने के लिए जानी जाती है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद, कई राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने सेना की इस कार्रवाई की निंदा की है। जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसे लेकर ट्वीट किया और इसे सेना के लिए शर्मनाक बताया। वहीं, लोगों ने सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे सैनिकों की अनुशासनहीनता बताया है।
सवाल उठते हैं
क्या यह घटना सेना के भीतर अनुशासन की कमी को उजागर करती है?
क्या सेना को नागरिकों के साथ अपने व्यवहार को लेकर अधिक सतर्क और जिम्मेदार होना चाहिए?
इस घटना ने एक बार फिर से जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों पर की जाने वाली कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि सेना इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या दोषी जवानों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है।