असम सरकार ने चुनाव आयोग से कहा — “NRC के अंतिम प्रकाशन तक न करें वोटर लिस्ट संशोधन”

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

असम सरकार ने चुनाव आयोग से अपील की है कि राज्य में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Revision of Electoral Roll) की प्रक्रिया तब तक स्थगित रखी जाए जब तक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का अंतिम संस्करण आधिकारिक रूप से प्रकाशित नहीं हो जाता। राज्य सरकार का कहना है कि NRC में नागरिकता की व्यापक जांच पहले ही हो चुकी है और इसके अंतिम रूप में जारी होने के बाद इसे मतदाता पहचान के प्रमाणपत्र के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार ने यह भी कहा है कि वर्तमान NRC सूची में कई त्रुटियाँ हैं — जिनमें बड़ी संख्या में “विदेशी नागरिकों” के नाम शामिल हैं, जबकि कई “स्वदेशी असमिया” नागरिक इससे बाहर कर दिए गए हैं।

NRC की प्रक्रिया 2013 में शुरू हुई थी और 2019 में इसका मसौदा प्रकाशित किया गया था। 3.3 करोड़ आवेदकों में से लगभग 19.6 लाख लोगों को बाहर रखा गया था। तब से यह सूची विवादों और संशयों का विषय बनी हुई है। असम सरकार का कहना है कि बिना NRC को अंतिम रूप दिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण करना गलत होगा।

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने विधानसभा में कहा कि NRC को अंतिम रूप देने से पहले सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20% और अन्य जिलों में 10% नामों का दोबारा सत्यापन आवश्यक है। सरकार का अनुमान है कि NRC का अंतिम प्रकाशन अक्टूबर 2025 तक हो सकता है।

सरमा ने यह भी कहा “जब NRC जैसी महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, तो फिर मतदाता सूची के पुनरीक्षण में इसे नज़रअंदाज़ क्यों किया जाए? अंतिम NRC प्रकाशित होते ही इसका उपयोग वैध मतदाताओं की पहचान में किया जा सकता है।”

हालांकि चुनाव आयोग की ओर से अब तक इस मांग पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार आयोग इस पर कानूनी और संवैधानिक पहलुओं से विचार कर रहा है।

विपक्ष ने असम सरकार की इस पहल पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि यह कदम वोटर आधार को नियंत्रित करने और धार्मिक-जातीय संतुलन को प्रभावित करने का प्रयास हो सकता है।

कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने कहा “सरकार की मंशा साफ है — वो NRC का सहारा लेकर गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों को मताधिकार से वंचित करना चाहती है।”

चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक नहीं रहा, बल्कि संवैधानिक अधिकारों से भी जुड़ गया है।

प्रो. आर.एन. झा, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं “अगर NRC को वोटर लिस्ट से जोड़ा गया तो इससे लाखों लोगों के मताधिकार पर असर पड़ सकता है। यह देश के बाकी हिस्सों में भी उदाहरण बन सकता है।”

असम सरकार और चुनाव आयोग के बीच NRC और मतदाता सूची संशोधन को लेकर मतभेद अब सार्वजनिक रूप से सामने आ चुके हैं। यदि आयोग सरकार की मांग मान लेता है, तो यह देश में नागरिकता और मताधिकार से जुड़ी नई बहस को जन्म दे सकता है। अब सभी की निगाहें चुनाव आयोग के निर्णय पर टिकी हैं।

हैदराबाद के दसराम में ग्रिनस्पायर वेलफेयर फ़ाउंडेशन मानू टीम का जागरूकता कार्यक्रम, शिक्षा-स्वास्थ्य व न्याय की ओर बड़ा क़दम

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क ग्रिनस्पायर वेलफेयर फ़ाउंडेशन की मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी टीम ने हाल

पटना में TRE-4 शिक्षक भर्ती पर बवाल: अभ्यर्थियों का सड़क पर हंगामा, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियां

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क बिहार में चौथे चरण की शिक्षक भर्ती (BPSC TRE-4) को लेकर नाराज़गी

मेवात में दो दिवसीय शैक्षिक सेमिनार सम्पन्न, उलेमा की विरासत पर हुई अहम चर्चा

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क मेवात,हरियाणा के फ़िरोज़पुर झिरका में मरकज़ साउतुल हिजाज़ के तत्वावधान में 24–25

उर्दू यूनिवर्सिटी में मदरसा छात्रों के लिए संचार कौशल कार्यक्रम की शुरुआत! शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के सहयोग से माणू की पहल

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (माणू) ने आज मदरसों के छात्रों के

पटना में MANUU एलुमनाई मीट : रिश्तों को मज़बूत करने और सहयोग बढ़ाने की दिशा में अहम क़दम

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क बिहार में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) के एलुमनाई नेटवर्क को

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मिला MANF स्कॉलर्स का प्रतिनिधिमंडल, राहुल ने किरण रिजिजू को पत्र लिख लंबित भुगतान और फ़ेलोशिप बहाली की मांग किया

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप (MANF) पाने वाले शोधार्थियों के प्रतिनिधिमंडल ने संसद

उत्तराखंड के स्कूलों में गीता-रामायण की पढ़ाई शुरू, शिक्षक संघों ने उठाए संविधानिक सवाल

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बुधवार से

फेलोशिप बहाली की मांग तेज, SIO ने सांसदों को सौंपा ज्ञापन

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप (MANF), ओबीसी, एससी, एसटी और नॉन-नेट फेलोशिप जैसी