
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में एक बार फिर बाहुबली राज की दस्तक देखने को मिल रही है। मोकामा प्रखंड के नौरंगा जलालपुर गाँव में पूर्व बाहुबली विधायक अनंत कुमार सिंह और कुख्यात अपराधी सोनू-मोनू गैंग के बीच कल शाम जमकर फायरिंग हुई। दोनों गुटों ने वर्चस्व की लड़ाई में मोकामा को कल देर शाम गोलीबारी के छलनी से रणभूमि के मैदान में परिवर्तित कर दिया। वर्चस्व की इस लड़ाई ने क्षेत्र में दहशत का माहौल बना दिया है। इस गोलीबारी में दोनों गुटों में से किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। इस घटना के बाद पूरे गाँव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस मामले में पुलिस ने अब तक 3 एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें से सोनू-मोनू की माँ की तरफ से किए गए एफआईआर में बाहुबली अनंत सिंह और उनके समर्थकों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया है। दूसरी एफआईआर मुकेश नाम के शख्स ने सोनू-मोनू और उनके समर्थकों पर कराया है। जिसके वज़ह से ही दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिली। इनके अलावा तीसरी एफआईआर पुलिस के तरफ से दर्ज की गई है. जिसमें पुलिस ने अनंत सिंह समर्थकों समेत सोनू-मोनू गैंग के लोगों को आरोपी बनाया है।
गोलीबारी की शुरुआत अनंत सिंह गुट की ओर से हुई
घटनाक्रम के तुरंत बाद यह खबर आग की तरह फैल गई कि पूर्व विधायक अनंत सिंह पर सोनू-मोनू गैंग के तरफ से जानलेवा हमला हुआ है, जिसमें करीब 60-70 राउंड फायरिंग की गई। लेकिन स्थानीय एसएचओ प्रहलाद झा के मुताबिक गोलीबारी सिर्फ 10-15 राउंड हुई है। जिसकी शुरुआत अनंत सिंह गुट के तरफ से ही की गई थी। इसके बाद सोनू-मोनू गैंग ने जवाबी गोलीबारी की। खबर मिलते ही पुलिस की टीम घटनास्थल पर के पर पहुँच कर छानबीन शुरू कर दी।
आरोपी की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी – एसपी
पटना ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग ने बताया कि नौरंगा गाँव के रहने वाले मुकेश कुमार और सोनू-मोनू के बीच कारोबार को लेकर विवाद चल रहा था। सोनू-मोनू के साथ ईंट भट्टे के कारोबार में पार्टनरशिप में काम करने वाला मुकेश अपने बक़ाया पैसे माँगने दोनों भाइयों के पास गया था। इसी दौरान दोनों ने कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की और उसे घर में बंद कर दिया गया। एसपी ने आगे बताया कि पूर्व विधायक ने दोनों भाइयों को मुकेश के कमरे का ताला खोलने का संदेश भेजा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। जिसके बाद अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ नौरंगा गाँव गए। इसी दौरान सिंह के समर्थकों ने फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद दूसरी तरफ से भी गोलीबारी शुरू हो गई। एसपी ने कहा कि फ़ायरिंग में शामिल लोगों को चिन्हित कर उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।
अनंत सिंह: लालू और नीतीश दोनों के चहेते में से हैं।
बिहार में बाहुबली अनंत सिंह को छोटे सरकार के नाम से भी जाना जाता है। अनंत सिंह राजनीति में 2000 से ही सक्रिय थे लेकिन 2005 में पहली बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक चुने गए। यह वह समय था जब अनंत सिंह को लालू प्रसाद के तरफ आरजेडी में आने को ऑफर किया गया था। लेकिन उन्होंने ऑफर को ठुकरा कर नीतीश कुमार के साथ जाने का फैसला किया था। इसके बाद वह 2005 और 2010 में लगातार जदयू से विधायक बने। फिर नीतीश कुमार के आरजेडी के साथ चले जाने से इन्होंने नीतीश कुमार को छोड़कर 2015 का विधानसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा, जिसमें वह जीतने में कामयाब रहे। फिर वह 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद के खेमे में आ गए। जिसमें वह 2020 के विधानसभा चुनाव को आरजेडी के सिंबल पर जीतने में कामयाब रहे।
जेल के अंदर से पत्नी को बना दिया विधायक
बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बगावत का अंजाम भुगतना पड़ा और उन्हें एक पुराने मामले में जेल जाना पड़ा। 2022 में अवैध रूप से AK-47 रखने के आरोप में अनंत सिंह की विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई। फिर उपचुनाव के लिए आरजेडी ने अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को अपना उम्मीदवार बनाया, जिसमें वह चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। इस दौरान अनंत सिंह जेल के भीतर से ही चुनाव पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए थे। फिर समय ने करवट ली नीलम देवी पाला बदलकर 2024 में जदयू के साथ आ गईं। जिसका फायदा अनंत सिंह को मिला। लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार ने उन्हें 15 दिन का पैरोल दिया और साल खत्म होते ही अवैध रूप से AK-47 रखने के आरोप में कोर्ट ने उनको बरी कर दिया गया। लेकिन अब भी सवाल वही है कि अनंत सिंह के घर से जो अवैध हथियार बरामद हुए थे, वह किसके थे? आख़िर उनके मालिक कौन थे? शायद ही इसका जवाब किसी के पास हो?
बिहार में कई बाहुबली अब भी अलग-अलग पार्टियों में सक्रिय
- बाहुबली आनंद मोहन जो 2023 में 16 साल बाद जेल से बाहर आए, खुद चुनाव नहीं लड़ते लेकिन उनकी पत्नी लवली आनंद शिवहर से जदयू की लोकसभा सांसद हैं। उनके पुत्र चेतन आनंद 2020 में आरजेडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने थे, लेकिन 2024 में पाला बदलकर जदयू का दामन थाम लिया। वही 2020 में आरजेडी ने लवली आनंद को भी अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं।
- मुंगेर की राजनीति में इस समय तीन बाहुबली सक्रिय हैं। इनमें पहला नाम अशोक महतो का है, जिनकी पत्नी को 2024 लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने उम्मीदवार बनाया था। लेकिन वह ललन सिंह से हार गईं। दूसरा नाम अनंत सिंह का है। जो अभी जदयू के साथ हैं। जबकि तीसरा नाम सूरजभान सिंह का है, जो लोजपा से मुंगेर के सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में पशुपति कुमार पारस के साथ जुड़े हुए हैं।
- वैशाली की राजनीति में भी कई बाहुबली अलग-अलग पार्टियों में सक्रिय हैं। वैशाली के मौजूदा सांसद वीणा देवी के पति दिनेश सिंह अपराध के जरिए राजनीति में आए। वीणा देवी लोजपा (रामविलास) से सांसद हैं। दूसरा नाम मुन्ना शुक्ला का है, जिन्हें लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह वीणा देवी से हार गए। जो अभी एक अपराधिक मामले में जेल में हैं। इनकी पत्नी अभी नवादा की राजनीति में सक्रिय है। जिनके बारे में चर्चा है कि 2025 के विधानसभा चुनाव में वो आरजेडी से उम्मीदवार हो सकती है।
- पूर्णिया जिले के सांसद पप्पू यादव की भी छवि बाहुबली नेता की है। पप्पू यादव 2024 के चुनाव में निर्दलीय जीतकर संसद पहुँचे। उन्होंने चुनाव से पहले अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था। लेकिन आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन के कारण यह सीट आरजेडी के खाते में चली गई। इस वजह से उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा। वर्तमान में पप्पू यादव पूरे देश में कांग्रेस के लिए प्रचार कर रहे हैं। पूर्णिया में अवधेश भारती की भी बाहुबली नेता की छवि है। उनकी पत्नी बीमा भारती, जो नीतीश सरकार में मंत्री थीं जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आरजेडी में शामिल हुई थी। लेकिन वो लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव दोनों में हार गईं।
- पटना की राजनीति में रीतलाल यादव सक्रिय हैं। जो आरजेडी से जुड़े हुए हैं। उन पर कई मुकदमे दर्ज हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में रीतलाल ने दानापुर सीट से जीत हासिल की। वह पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से अपनी बेटी मीसा भारती को उम्मीदवार बनाया। मीसा पहली बार बीजेपी के रामकृपाल यादव को हराने में कामयाब रहीं। जो कि 2 बार रामकृपाल यादव से चुनाव हार रही थी।
- नवादा की राजनीति में राजवल्लभ यादव सक्रिय हैं। वह 2015 में आरजेडी से विधायक बने थे, लेकिन 2016 में उन पर एक बच्ची से दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ। सजा के ऐलान के बाद आरजेडी ने उन्हें निष्कासित कर दिया। उनकी पत्नी विभा देवी फिलहाल आरजेडी से विधायक हैं। नवादा की राजनीति में उनके भाई भी सक्रिय हैं।
- महराजगंज सीट पर बाहुबली प्रभुनाथ सिंह का दबदबा अब भी कायम है। उनके भाई केदार नाथ सिंह 2010 से लगातार बनियापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं। आरा और भोजपुर की राजनीति में सुनील पांडे सक्रिय हैं। उनके बेटे विशाल हाल में तरारी उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में जीतकर विधायक बने और लेफ्ट के राजू यादव को हराने में कामयाब रहे।
- सिवान में बाहुबली शहाबुद्दीन की मौत के बाद भी उनका परिवार सिवान की राजनीति में सक्रिय है। चर्चा है कि उनके बेटे ओसामा 2025 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी हो सकते हैं। शहाबुद्दीन की पत्नी हेना सहाब और बेटा फिलहाल आरजेडी से जुड़े हुए हैं। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले शहाबुद्दीन की पत्नी ने आरजेडी से किनारा कर सिवान से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर वह आरजेडी में शामिल हो गई हैं।
(ये स्टोरी इंसाफ़ टाइम्स के पॉलिटिकल एडिटर अब्दुल रकीब नोमानी ने किया है)