इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के बेगूसराय जिले के सूजा गांव में मुसहर समाज ने सामूहिक सहयोग और श्रमदान से देवी कामा माई का मंदिर निर्मित किया है। इस मंदिर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां हीराबेन के नाम पर समर्पित किया गया है। यह मंदिर अब केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना और सांस्कृतिक बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है।
अगस्त 2023 में दरभंगा की एक राजनीतिक रैली के दौरान प्रधानमंत्री की मां हीराबेन को लेकर अपशब्द कहे गए थे। इस घटना से आहत ग्रामीणों ने तय किया कि मंदिर का नाम हीराबेन के नाम पर रखकर वे इसका सांस्कृतिक विरोध दर्ज करेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि यह निर्णय मातृसम्मान और भारतीय संस्कृति की गरिमा का प्रतीक है।
गांव को ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत गोद लेने वाले भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. राकेश सिन्हा इस निर्णय के प्रमुख प्रेरक रहे। उनका कहना है कि “हीराबेन एक साधारण महिला थीं, जिनके संस्कारों ने एक महान प्रधानमंत्री को जन्म दिया। यह मंदिर भारत की हर मां के सम्मान का प्रतीक है।”
गांव में भूमि की अनुपलब्धता के कारण मंदिर को नव-निर्मित सामुदायिक भवन की छत पर बनाया गया है। लगभग 16 लाख रुपये की लागत से बने इस तीन मंजिला भवन में 200 लोगों के ठहरने की सुविधा, सामुदायिक शौचालय और प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर निर्माण में करीब 24 लाख रुपये की लागत आई, जो पूरी तरह से स्थानीय लोगों के चंदे और श्रमदान से जुटाई गई। कामा माई की प्रतिमा स्थापित कर इसे ‘हीराबेन मंदिर’ नाम दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार यह पहल समाज को जोड़ने और आस्था को साझा करने का प्रयास है।
मंदिर निर्माण अंतिम चरण में है और इसके भव्य उद्घाटन की तैयारियां की जा रही हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इस अवसर पर उपस्थित हों। फिलहाल गांव में उत्सव जैसा माहौल है और लोग इस ऐतिहासिक पल का इंतजार कर रहे हैं।
‘हीराबेन मंदिर’ अब बेगूसराय की पहचान बन चुका है, जो मातृसम्मान और सामाजिक एकजुटता का अनूठा उदाहरण है।