बिहार विधानसभा में ₹57,946.25 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश, विपक्ष ने कहा—जनविरोधी और भ्रामक

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

राज्य के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने सोमवार को बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन ₹57,946.25 करोड़ रुपये का प्रथम अनुपूरक बजट 2025-26 पेश किया। बजट पेश होने के साथ ही विपक्षी दलों ने इसे “जनविरोधी” और “आकड़ों की बाज़ीगरी” करार देते हुए सदन के भीतर और बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दिनभर बाधित रही और अध्यक्ष को इसे मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा।

वित्त मंत्री ने कहा कि यह अनुपूरक बजट विभिन्न विभागों की आवश्यकताओं को पूरा करने, केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन और सामाजिक कल्याण योजनाओं के विस्तार के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा, महिला सशक्तिकरण और कृषि विकास है।

बजट में ₹36,169.18 करोड़ योजनागत व्यय के लिए, ₹21,773.17 करोड़ नियत व्यय (स्थायी खर्च) के लिए, तथा ₹3.63 करोड़ केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रस्तावित हैं।

वित्त मंत्री ने बजट को “जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया दस्तावेज़” बताया।

बजट प्रस्तुत होते ही राजद, कांग्रेस, भाकपा-माले और एआईएमआईएम के विधायकों ने सरकार पर तीखा हमला बोला। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि राज्य सरकार केवल झूठे वादों और आंकड़ों के सहारे जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है।

राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है, लेकिन सरकार काग़ज़ों में विकास दिखा रही है।

कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने बजट को “अमीरों और ठेकेदारों के लिए बनाया गया बजट” बताते हुए कहा कि इसमें गरीबों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।

एआईएमआईएम विधायक अख्तरुल ईमान ने विधानसभा में मतदाता सूची में नाम कटौती का मुद्दा उठाया और इसे “लोकतंत्र के साथ छल” बताया।

बजट भाषण के दौरान विपक्षी विधायकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी की। वे वेल में आकर प्रदर्शन करते रहे। इस दौरान “जनविरोधी सरकार मुर्दाबाद”, “वोटर सूची से छेड़छाड़ बंद करो” जैसे नारे गूंजते रहे।

विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने विपक्ष को शांत रहने की अपील की, लेकिन हंगामा नहीं थमा। अंततः अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्य सरकार सभी वर्गों और तबकों के लिए योजनाएं चला रही है। उन्होंने कहा कि यह बजट राज्य के समावेशी विकास को प्रतिबिंबित करता है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह अनुपूरक बजट आगामी चुनावों की दृष्टि से अहम है। सरकार इसे विकास का एजेंडा बता रही है, जबकि विपक्ष इसे चुनावी स्टंट और आंकड़ों की चालबाज़ी बता रहा है।

राज्य में मतदाता सूची विवाद, अल्पसंख्यकों की उपेक्षा और बढ़ते अपराध जैसे मुद्दे पहले से गर्म हैं, और यह बजट बहस को और तेज़ कर सकता है।

मंगलवार से विधानसभा में अनुपूरक बजट पर विस्तृत चर्चा शुरू होगी। विपक्ष ने पहले ही एलान कर दिया है कि वह हर विभाग और आंकड़े की बारीकी से जांच करेगा और सरकार को कटघरे में खड़ा करेगा।

संभावित बहस के संभावित मुद्दे

मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी
शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की स्थिति
कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक तनाव
बजट के सामाजिक प्रभाव और वर्गीय संतुलन

₹57,946.25 करोड़ का यह अनुपूरक बजट सिर्फ वित्तीय दस्तावेज़ नहीं, बल्कि बिहार की वर्तमान राजनीति और सामाजिक समीकरण का आईना बन गया है। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव और आरोप-प्रत्यारोप के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बजट आम जनता के लिए कितना लाभकारी साबित होता है।

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