इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार सरकार ने आम जनता को राहत देते हुए बड़ा ऐलान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने हर घरेलू उपभोक्ता को प्रति माह 100 यूनिट मुफ्त बिजली देने की योजना को मंजूरी दे दी है। यह फैसला चुनावी साल में राज्य की सियासत में नई हलचल पैदा कर रहा है।
ऊर्जा विभाग द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव को वित्त विभाग ने स्वीकृति दे दी है और अब इसे जल्द ही कैबिनेट बैठक में औपचारिक रूप से मंजूरी मिलने की उम्मीद है। योजना के तहत बिजली की पहली 100 यूनिट पूरी तरह से मुफ्त होगी, जबकि उससे अधिक खपत पर उपभोक्ताओं को सामान्य दर से भुगतान करना होगा।
इस योजना का लाभ राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को मिलेगा। ऊर्जा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “यह योजना खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इसका उद्देश्य बिजली खर्च में राहत देना है।”
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में करीब 2.08 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में उपभोक्ता 100 यूनिट से कम बिजली खपत करते हैं। ऐसे में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष रूप से इस योजना का फायदा मिलेगा।
इस फैसले को जहां एनडीए सरकार ने जन-हितैषी निर्णय बताया है, वहीं विपक्ष ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में वादा किया था कि यदि उनकी सरकार बनी तो हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी। अब नीतीश सरकार के इस ऐलान को उसी की काट के तौर पर देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि फ्री बिजली जैसे फैसले इस बार के विधानसभा चुनाव में निर्णायक मुद्दा बन सकते हैं। बीजेपी और जेडीयू इसे अपनी उपलब्धियों के रूप में प्रचारित करने की तैयारी में जुट गए हैं।
ऊर्जा विभाग के अनुसार, योजना को अगस्त 2025 से लागू किया जा सकता है, बशर्ते कि इसे कैबिनेट की मंजूरी मिल जाए। इसके लिए वितरण कंपनियों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं, और उपभोक्ताओं की पहचान प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
पटना निवासी राजकुमार सिंह ने मीडिया से कहा, “महंगाई के इस दौर में यह एक राहत की खबर है। बिजली का बिल अब थोड़ा कम आएगा।” वहीं, मधेपुरा की गृहिणी संगीता देवी ने मीडिया में कहा, “अगर सरकार यह वादा निभाती है तो यह हमारे जैसे परिवारों के लिए बड़ी मदद होगी।”
100 यूनिट मुफ्त बिजली योजना को नीतीश सरकार का एक साहसिक और लोकलुभावन कदम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या यह योजना चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर पाती है या यह केवल एक और घोषणा बनकर रह जाएगी।