इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है, जब दो प्रमुख विपक्षी दलों ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और आज़ाद समाज पार्टी (ASP) के प्रदेश नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई सामने आई है। एक ओर जहां AIMIM के प्रदेश सचिव अधिवक्ता शमीम अख्तर को बिहार शरीफ (नालंदा) से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, वहीं दूसरी ओर ASP के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आज़ाद के खिलाफ मुजफ्फरपुर में गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
बिहार शरीफ से मिली जानकारी के अनुसार, AIMIM के प्रदेश सचिव शमीम अख्तर को पुलिस ने हिरासत में लेकर मेडिकल जांच कर चालान कर दिया गया है। हालांकि, एफआईआर की कॉपी अभी तक हमे हासिल नहीं हो सका है।
सूत्रों के मुताबिक, शमीम अख्तर ने पिछले दिनों फेसबुक लाइव के माध्यम से यह मांग की थी कि बिहार शरीफ में मुहर्रम के जुलूस की अनुमति दी जाए, क्योंकि यह एक शांतिपूर्ण धार्मिक आयोजन होता रहा है और आज तक मुहर्रम में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा था कि रामनवमी दंगे (2022) के बाद प्रशासन ने सभी जुलूसों पर कठोर नियंत्रण लगा दिया है, और धार्मिक प्रतीकों जैसे तलवार, त्रिशूल आदि पर रोक भी लगा दी गई है।
शमीम अख्तर की गिरफ्तारी को लेकर उनके समर्थकों का कहना है कि यह “अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है”, और सरकार विपक्षी आवाज़ों को दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही है
दूसरी ओर, आज़ाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जौहर आज़ाद के खिलाफ मुजफ्फरपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि उन्होंने ASP और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के साथ ‘भाईचारा बनाओ, देश बचाओ यात्रा’ के दौरान एक रैली निकाली, जिसमें सड़क जाम, अमर्यादित नारेबाजी, और एक पुलिसकर्मी को वर्दी उतरवाने व देख लेने की धमकी देने जैसे आरोप लगाए गए हैं।
ASP के नेताओं का कहना है कि यह यात्रा सांप्रदायिकता, दलित उत्पीड़न और संविधान विरोधी ताकतों के खिलाफ जनजागरण के लिए निकाली गई थी, जिसे सरकार ने राजनीतिक रूप से चुनौती मान लिया।
जौहर आज़ाद ने एक बयान में कहा है, “अगर सड़क पर उतरकर संविधान की रक्षा और भाईचारा की बात करना अपराध है, तो हम हर बार यह अपराध करेंगे। बिहार में जन आंदोलन को डराने की हर कोशिश नाकाम होगी।”
दोनों नेताओं के समर्थकों और दलों का कहना है कि बिहार में विपक्षी दलों के बढ़ते जनाधार से घबराकर सत्ता पक्ष अब दमनकारी हथकंडों पर उतर आया है। AIMIM और ASP दोनों ही प्रदेश के पिछड़े, अल्पसंख्यक और वंचित वर्गों में तेजी से समर्थन हासिल कर रहे हैं, जिसे रोकने के लिए अब प्रशासनिक दबाव और पुलिसिया कार्रवाई का सहारा लिया जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि चुनावी साल में ऐसी कार्रवाइयाँ “चुनिंदा निशानेबाजी” का हिस्सा हो सकती हैं, ताकि विपक्ष की ताकत को मैदान में कमजोर किया जा सके।
बिहार में AIMIM के अधिवक्ता शमीम अख्तर की गिरफ्तारी और ASP अध्यक्ष जौहर आज़ाद पर मुक़दमे ने यह संकेत दे दिया है कि आने वाले महीनों में राज्य की राजनीति और भी अधिक गरमाने वाली है। यह देखना बाकी है कि पुलिस की इन कार्रवाइयों को अदालतें और जनता किस नज़र से देखती है—कानूनी कार्रवाई के तौर पर या फिर राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में।