
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें सात नए मंत्रियों को शामिल किया गया। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन में आयोजित समारोह में इन नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इस विस्तार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे पार्टी ने विभिन्न जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है।
*नए मंत्रियों की सूची और उनकी भूमिका
1.संजय सरावगी (दरभंगा) – भाजपा विधायक, मैथिली भाषा में शपथ ली।
2.जीवेश मिश्रा (जाले) – भाजपा विधायक, मिथिलांचल में पार्टी की पकड़ मजबूत करने पर फोकस।
3.राजू कुमार सिंह (साहेबगंज) – पूर्व VIP नेता, अब भाजपा के महत्वपूर्ण चेहरा।
4.विजय कुमार मंडल (सिकटी) – सीमांचल में अति पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश।
5.सुनील कुमार (बिहारशरीफ) – भाजपा विधायक, पार्टी की नई रणनीति का हिस्सा।
6.मोतीलाल प्रसाद (रीगा) – वैश्य समुदाय से आते हैं, व्यापारिक वर्ग को साधने की रणनीति।
7.कृष्ण कुमार मंटू (अमनौर) – भाजपा के कोटे से मंत्री बने।
*भाजपा ने क्यों बढ़ाया दबदबा?
इस मंत्रिमंडल विस्तार के बाद नीतीश कुमार सरकार में कुल 36 मंत्री हो गए हैं, जिनमें से 21 भाजपा, 13 जदयू, 1 हम और 1 निर्दलीय मंत्री हैं। यह साफ संकेत देता है कि भाजपा आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश में है।
शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी नए मंत्रियों को बधाई देते हुए कहा, “सरकार जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है, नए मंत्रियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है।”
विश्लेषकों का मानना है कि यह विस्तार भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिससे पार्टी मिथिलांचल, सीमांचल और व्यापारिक समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। अब देखना होगा कि यह नया समीकरण आगामी 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में कितना असर डालता है।