
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। संगठन ने राज्य के विभिन्न जिलों में अपनी पकड़ मजबूत करने और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए कई रणनीतियां बनाई हैं।
*RSS की रणनीति और मिशन
सूत्रों के मुताबिक, RSS ने बिहार के हर जिले में अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है। संघ के प्रचारक और स्वयंसेवक बूथ स्तर तक पहुंचकर हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और केंद्र सरकार की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा, राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और भारत की सांस्कृतिक धरोहर जैसे मुद्दों पर भी जनता के बीच संवाद किया जा रहा है।
*बूथ प्रबंधन और नए कार्यकर्ताओं की भर्ती
RSS और BJP ने मिलकर बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की नई भर्ती शुरू कर दी है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में RSS के कार्यकर्ता चुनावी तैयारियों को गति दे रहे हैं। इस बार पार्टी ने सोशल मीडिया और डिजिटल कैंपेनिंग को भी बढ़ावा देने का फैसला किया है, जिससे युवाओं तक अपनी पकड़ बनाई जा सके।
*जातीय समीकरणों पर नजर
बिहार में जातीय समीकरण हमेशा चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं। RSS इस बार पिछड़े और दलित समुदायों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास कर रहा है। संगठन ने कई क्षेत्रों में समाजसेवा, शिक्षा और चिकित्सा से जुड़ी गतिविधियां शुरू की हैं, ताकि इन समुदायों का समर्थन BJP को मिल सके।
*विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस बीच, विपक्षी दलों ने RSS की इन गतिविधियों को चुनावी ध्रुवीकरण की कोशिश बताया है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस ने कहा है कि RSS का असली मकसद समाज को बांटना और बीजेपी के राजनीतिक हितों को साधना है। हालांकि, BJP नेताओं ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि RSS केवल राष्ट्र निर्माण और सांस्कृतिक चेतना बढ़ाने का काम कर रहा है।
आगामी महीनों में बिहार की राजनीति में RSS की भूमिका और अधिक स्पष्ट होगी। फिलहाल, चुनावी मैदान में सरगर्मी तेज हो चुकी है और सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।