
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद डॉ. उदित राज ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘बी’ टीम के रूप में काम कर रही हैं और दलितों के हितों की अनदेखी कर रही हैं।
उदित राज ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “मायावती दलितों की राजनीति का दावा तो करती हैं, लेकिन उनकी नीतियां और उनके राजनीतिक फैसले सीधे तौर पर भाजपा को फायदा पहुंचाते हैं। बसपा ने पिछले कई चुनावों में भाजपा का अप्रत्यक्ष समर्थन किया है।” उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा की निष्क्रियता से भाजपा को राजनीतिक लाभ मिल रहा है, जिससे दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए नकारात्मक माहौल बनता जा रहा है।
*बसपा पर लगातार बढ़ रहे हैं आरोप
उदित राज पहले भी मायावती की राजनीति पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका मानना है कि बसपा ने भाजपा के खिलाफ निर्णायक संघर्ष से खुद को अलग कर लिया है और विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में बसपा की कमजोर स्थिति का फायदा भाजपा को मिल रहा है।
बसपा की ओर से उदित राज के इस बयान पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, इससे पहले भी मायावती यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि उनकी पार्टी किसी भी अन्य दल के इशारे पर काम नहीं करती और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ती है।
*भाजपा और बसपा के बीच ‘गुप्त समझौते’ के आरोप
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बसपा की भूमिका लगातार संदेह के घेरे में रही है। मायावती पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि उनकी पार्टी चुनावों में भाजपा की अप्रत्यक्ष मदद करती है। हाल ही में कई विपक्षी दलों ने भी बसपा पर भाजपा से ‘गुप्त समझौता’ करने का आरोप लगाया है।
आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बसपा की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में उदित राज का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
*क्या कहती है दलित राजनीति?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि दलित वोट बैंक भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मायावती लंबे समय से दलितों की मसीहा होने का दावा करती रही हैं, लेकिन हाल के वर्षों में उनकी पार्टी का ग्राफ लगातार गिरा है। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश में लगे हैं।
अब देखना यह होगा कि उदित राज के इस आरोप पर बसपा क्या प्रतिक्रिया देती है और आगामी चुनावों में यह मुद्दा कितना प्रभाव डालता है।