इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अपनी राजनीतिक ताकत का प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ‘बहुजन-भीम संकल्प समागम’ आयोजित करने का ऐलान किया है। यह फैसला शुक्रवार (16 मई) को पटना में हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया।
इस कार्यक्रम की खास बात यह है कि इसे एनडीए से इतर, पार्टी स्वतंत्र रूप से आयोजित करेगी। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि एनडीए गठबंधन में रहते हुए भी वह अपनी ‘स्वतंत्र पहचान’ के साथ चुनावी मैदान में उतरेगी।
सियासी संकेत और रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान इस कार्यक्रम के जरिए एनडीए को यह संदेश देना चाहते हैं कि लोजपा (रामविलास) की ग्राउंड पर मज़बूत पकड़ है और आगामी विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे में उसे नज़रअंदाज़ न किया जाए। यह आयोजन एनडीए पर सीट शेयरिंग को लेकर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
चिराग का दलित कार्ड
चिराग पासवान अपने पिता रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए दलित और बहुजन वोट बैंक को फिर से साधने की कोशिश में हैं। ‘बहुजन-भीम संकल्प समागम’ के जरिए लोजपा (रामविलास) भीम राव अंबेडकर की विचारधारा को केंद्र में रखकर दलित समाज को लामबंद करने की कोशिश कर रही है।
क्या है पार्टी की रणनीति?
NDA में रहते हुए भी स्वतंत्र रूप से पहचान बनाना
बहुजन समाज के मुद्दों को उभारना
दलित नेतृत्व को प्रमुखता देना
विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को मज़बूत करना
आगे की राह
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि अगर लोजपा (रामविलास) को NDA में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती हैं, तो वह आक्रामक चुनावी रणनीति अपना सकती है। हालांकि, पार्टी की ओर से फिलहाल एनडीए से अलग होने का कोई संकेत नहीं दिया गया है।
‘बहुजन-भीम संकल्प समागम’ लोजपा (रामविलास) के लिए एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन और सामाजिक जुड़ाव का माध्यम बनता दिख रहा है। चिराग पासवान की यह पहल न केवल दलित वोट बैंक को फिर से साधने की कोशिश है, बल्कि एनडीए को भी उनकी राजनीतिक हैसियत का एहसास कराने का प्रयास है।