
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भारत में कैथोलिक चर्च ने दलित ईसाइयों के साथ हो रहे कथित भेदभाव और उनके संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन पर गहरी चिंता जताई है। चर्च का कहना है कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद दलित समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाले लाभों से वंचित किया जा रहा है, जिससे वे आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ रहे हैं।
चंगनाश्शेरी आर्चडायसीज के सिरो-मलाबार चर्च ने एक परिपत्र जारी कर केंद्र और राज्य सरकारों पर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। आर्कबिशप मार थॉमस थरयिल ने कहा कि सरकार को पर्यावरणीय कानून, वक्फ से जुड़े मुद्दों, और किसानों के जीवन पर हो रहे प्रभावों को लेकर तुरंत कदम उठाने चाहिए।
कैथोलिक चर्च की चिंताएं
चर्च ने कहा कि दलित ईसाई और किसान गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। फादर एंटनी वडक्केकारा ने कहा, “किसानों, जिनमें से कई दलित हैं, को सरकार की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है। उनकी समस्याओं को हल करने के लिए वन और वन्यजीव कानूनों में संशोधन की जरूरत है।”
परिपत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि जस्टिस बेंजामिन कोशी आयोग ने क्रिश्चियन अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर एक रिपोर्ट तैयार की थी, जिसे 17 मई 2023 को सरकार को सौंपा गया था। हालांकि, अब तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है।
चर्च ने सवाल उठाया, “अगर यह आरोप लगाया जाए कि इस रिपोर्ट के प्रकटीकरण में निहित स्वार्थी तत्व बाधा डाल रहे हैं, तो इसे कौन नकार सकता है?”
दलित ईसाइयों को SC आरक्षण से वंचित किया जाना भेदभावपूर्ण
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) के दलित और पिछड़ा वर्ग कार्यालय के पूर्व सचिव फादर देवसगया राज ने कहा कि दलित ईसाई आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर हैं क्योंकि उन्हें अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण का लाभ नहीं मिलता।
उन्होंने कहा, “केरल में सबसे अधिक ईसाई आबादी है, जिनमें बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग भी शामिल हैं। हालांकि, ईसाई धर्म अपनाने के बाद वे संवैधानिक लाभों से वंचित हो जाते हैं, जिससे वे भेदभाव का शिकार बनते हैं।”
फादर राज ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए और धर्म के आधार पर आरक्षण में भेदभाव को समाप्त करना चाहिए।
सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग
चर्च ने सरकार से किसानों की समस्याओं, शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता, और ईसाई समुदाय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को लेकर तुरंत कदम उठाने की मांग की है।
अब यह देखना होगा कि सरकार दलित ईसाइयों और ईसाई अल्पसंख्यक समुदाय की समस्याओं को लेकर क्या कदम उठाती है।