इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में अपराध के बढ़ते ग्राफ को लेकर कांग्रेस ने राज्य की एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय कुमार ने दावा किया है कि 2005 के बाद से बिहार में अपराधों में 323 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार के 20 वर्षों के शासन में जब पुलिसकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी।
अजय कुमार ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2005 में बिहार में कुल 1,07,664 अपराध दर्ज किए गए थे, जो 2022 में बढ़कर 3,47,835 हो गए। वर्तमान में राज्य में प्रतिदिन औसतन 953 अपराध हो रहे हैं, जिनमें 8 हत्याएं, 33 अपहरण, 136 जघन्य अपराध, 55 महिला अपराध, 28 महिलाओं के अपहरण, दो से अधिक दुष्कर्म, और 17 बच्चों के अपहरण शामिल हैं।
कांग्रेस ने यह भी घोषणा की है कि आगामी विधानसभा चुनावों में वह किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को टिकट नहीं देगी और महागठबंधन के अन्य दलों पर भी इसी नीति का पालन करने का दबाव डालेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के शासन में दलितों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है और भाजपा शासित राज्यों में दलितों, अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में अपराध की बढ़ती घटनाएं सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार अपराधियों पर नियंत्रण पाने में विफल रही है, जिससे राज्य में असुरक्षा की भावना बढ़ी है।
बिहार में बढ़ते अपराध और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच, राज्य की जनता सुरक्षा और सुशासन की उम्मीद लगाए बैठी है। आगामी चुनावों में यह मुद्दा प्रमुखता से उठने की संभावना है, जिससे राजनीतिक दलों पर जनता की अपेक्षाओं का दबाव बढ़ेगा।