इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
गोरियाकोठी थाना क्षेत्र के शेखपुरा गांव के 28 वर्षीय मोहम्मद शहजादुल हक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने जिले में आक्रोश की लहर दौड़ा दी है। परिवार का आरोप है कि शहजाद को पुलिस ने बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी, जबकि पुलिस का दावा है कि उसने छत से कूदकर आत्महत्या की।
मोहम्मद शहजादुल हक, जो हाल ही में मक्का से लौटे थे और मस्जिद अल-हरम में कार्यरत थे, की शादी 10 मई को तय थी। लेकिन 4 मई की शाम, पुलिस ने उनकी बहन के घर पर छापा मारा। परिवार का कहना है कि इस दौरान कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी, बावजूद इसके पुलिस ने घर में मौजूद महिलाओं के साथ अभद्रता की और शहजाद को जबरन हिरासत में ले लिया।
शहजाद की भतीजी ने बताया, “पुलिस ने बिना वारंट के घर में घुसकर शहजाद को घसीटते हुए ले गई। जब हमने महिला पुलिसकर्मी की मांग की, तो उन्होंने मना कर दिया।”
पुलिस हिरासत में शहजाद गंभीर रूप से घायल हो गए और 7 दिन तक जीवन-मृत्यु से जूझते रहे। 11 मई को उनकी मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि शहजाद ने छत से कूदकर आत्महत्या की, लेकिन परिवार का आरोप है कि उन्हें हिरासत में बेरहमी से पीटा गया, जिससे उनकी मौत हुई।
शहजाद के पिता ने कहा “मेरे बेटे को पुलिस ने मार डाला। वे कहते हैं कि उसने छत से कूदकर आत्महत्या की, लेकिन सच्चाई यह है कि उसे पीट-पीटकर मारा गया।”
घटना के बाद से स्थानीय समुदाय में आक्रोश है। मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को उठाया है और राज्य सरकार से जवाबदेही की मांग की है।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा “यह घटना पुलिस की बर्बरता का एक और उदाहरण है। हमें न्याय चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।”
बिहार पुलिस ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक किसी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। राज्य सरकार ने कहा है कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा “हम इस घटना को गंभीरता से ले रहे हैं और जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।”
मोहम्मद शहजादुल हक की मौत ने पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल न्याय प्रणाली की पारदर्शिता की परीक्षा है, बल्कि यह भी तय करेगा कि राज्य में कानून का शासन कितना प्रभावी है।