इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
मुजफ्फरपुर के औराई विधानसभा के साहिला बल्ली गांव में— एक दलित विधवा का आशियाना, जो वर्षों से संघर्ष और मेहनत से खड़ा था, मंगलवार को प्रशासन द्वारा बुलडोज़र चला कर मिट्टी में मिला दिया गया। पीड़िता पुनीता पासवान के घर को तोड़े जाने की घटना ने पूरे इलाके में आक्रोश पैदा कर दिया है।
भाकपा-माले की राज्य कमिटी के सदस्य और Revolutionary Youth Association (RYA) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आफ़ताब आलम ने प्रेस रिलीज़ जारी कर इसे भाजपा सरकार की दलित विरोधी और जनविरोधी राजनीति का घिनौना चेहरा करार दिया है।
पुनीता पासवान अपने बच्चों के साथ इस ज़मीन पर वर्षों से रह रही थीं। बताया गया कि पिछले आठ महीनों से उनके घर को बचाने की कानूनी और प्रशासनिक लड़ाई चल रही थी, जिसमें भाकपा-माले और आरवाईए लगातार साथ खड़े थे।
हालांकि, मंगलवार की सुबह प्रशासन ने अचानक बुलडोज़र भेजकर मकान को ध्वस्त कर दिया।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए आफ़ताब आलम ने कहा “यह सिर्फ एक मकान नहीं टूटा, इंसानियत की नींव तोड़ी गई है। भाजपा समर्थित विधायक और अधिकारी दलितों पर सत्ता का बुलडोज़र चला रहे हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि सत्ता और प्रशासन के गठजोड़ की क्रूरता को भी उजागर करती है।
भाकपा-माले ने घटना के बाद तुरंत प्रेस बयान जारी कर कुछ माँगें रखीं है—
1.पुनीता पासवान के टूटे हुए घर का तत्काल पुनर्निर्माण किया जाए।
2.पीड़िता को उचित मुआवज़ा और पुनर्वास पैकेज दिया जाए।
3.इस कार्रवाई के लिए जिम्मेदार भाजपा विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई हो।
इसके साथ ही पार्टी ने औराई क्षेत्र में दलितों पर बढ़ते उत्पीड़न की उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की है।
आफ़ताब आलम ने स्पष्ट कहा कि अब यह लड़ाई निर्णायक मोड़ पर है और भाकपा-माले इस अन्याय के खिलाफ राज्यव्यापी जन आंदोलन छेड़ेगी। “हम गांव-गांव, पंचायत-पंचायत जाकर भाजपा की बुलडोज़र राजनीति के खिलाफ जन प्रतिरोध को संगठित करेंगे।”
दलित विधवा पुनीता पासवान का घर तोड़ना, एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे समाज के आत्मसम्मान और न्याय पर हमला है।
भाजपा के “बुलडोज़र मॉडल” पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए भाकपा-माले ने स्पष्ट किया है कि गरीबों के आशियानों पर चलने वाला बुलडोज़र दरअसल सत्ता की नीयत को बेनकाब करता है।