
इंसाफ टाइम्स डेस्क
दिल्ली हाईकोर्ट ने विवादास्पद फिल्म ‘2020 दिल्ली’ की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। फिल्म कथित तौर पर 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों पर आधारित है। यह याचिकाएं छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम और अन्य लोगों द्वारा दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं ने फिल्म पर दंगों की घटनाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए इसे लेकर गहरी आपत्तियां जताई हैं।
*सेंसर बोर्ड की मंजूरी से पहले निर्णय संभव नहीं
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत फिल्म को लेकर तभी फैसला देगी जब यह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेगी। फिल्म के निर्माताओं ने अदालत को आश्वस्त किया है कि सेंसर बोर्ड की मंजूरी के बिना फिल्म को रिलीज़ नहीं किया जाएगा।
*शरजील इमाम ने उठाए गंभीर सवाल
शरजील इमाम, जो 2020 के दंगों के एक मामले में अभियोजन का सामना कर रहे हैं, ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म के ट्रेलर और प्रचार सामग्री में दंगों को लेकर एक बड़ी साजिश का संकेत दिया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि यह उनकी चल रही कानूनी कार्यवाही और जमानत याचिका को प्रभावित कर सकता है।
*चुनावी माहौल पर असर का डर
इसके अलावा, दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने वाले एक निर्दलीय उम्मीदवार उमंग ने भी फिल्म की रिलीज़ पर रोक की मांग की है। उन्होंने दलील दी कि यह फिल्म चुनावों से ठीक पहले मतदाताओं की सोच को प्रभावित कर सकती है।
*निर्माताओं का पक्ष
फिल्म के निर्माताओं ने अदालत में कहा कि ‘2020 दिल्ली’ पूरी तरह से एक काल्पनिक और नाटकीय प्रस्तुति है, न कि वास्तविक घटनाओं का सटीक चित्रण। उन्होंने यह भी भरोसा दिया कि फिल्म और उसके ट्रेलर की शुरुआत में एक डिस्क्लेमर जोड़ा जाएगा, जिसमें इसे फिक्शन बताया जाएगा।
*चुनाव आयोग कर रहा है समीक्षा
इस बीच, चुनाव आयोग भी फिल्म के प्रभाव का आकलन कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग इस मामले पर अपनी समीक्षा जारी रख सकता है।
*एक टेक में बनी पहली भारतीय फिल्म
‘2020 दिल्ली’ का निर्देशन देवेंद्र मालवीय ने किया है, जो विजुअल बर्ड्स के सीईओ हैं। विजुअल बर्ड्स ने पहले ‘आर्टिकल 15,’ ‘तान्हाजी,’ और ‘थप्पड़’ जैसी फिल्मों पर काम किया है। फिल्म को एक टेक तकनीक में शूट किया गया है, जो अब तक केवल हॉलीवुड फिल्मों जैसे ‘1917’ और ‘बर्डमैन’ में देखा गया है।
निर्देशक ने कहा, “यह कहानी 24 फरवरी, 2020 के 12 घंटों पर केंद्रित है, जब दिल्ली दंगे हुए थे। दो मुख्य पात्रों के दृष्टिकोण से यह पूरी घटना दिखाई जाएगी। बिना किसी कट के फिल्म बनाने की यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इससे दर्शकों को एक अलग और रोमांचक अनुभव मिलेगा।”
आगे की राह
अब सभी की नजरें अदालत के फैसले पर हैं। यदि अदालत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में जाती है, तो फिल्म की रिलीज़ में देरी हो सकती है। वहीं, सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद फिल्म रिलीज़ के लिए तैयार हो जाएगी।