बिहार की डॉली सरपंच:ग्रामीण न्याय में नवाचार की मिसाल

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

बिहार के गया जिले के मानपुर प्रखंड के शादीपुर पंचायत की सरपंच, डॉली कुमारी, अपने नवाचार और प्रभावशाली नेतृत्व के लिए सुर्खियों में हैं। रूपसपुर गांव की निवासी डॉली ने पंचायत की न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए हैं, जिससे वे महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बन गई हैं।

डिजिटलीकरण से न्याय में पारदर्शिता

डॉली कुमारी ने ग्राम कचहरी में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की है। उनके नेतृत्व में, शादीपुर पंचायत बिहार का पहला कम्प्यूटरीकृत ग्राम न्यायालय बना, जहां सभी निर्णय लाइव रिकॉर्ड किए जाते हैं और दस्तावेज़ों को सुव्यवस्थित रूप से टाइप किया जाता है। इससे शिकायत दर्ज करना और न्याय प्राप्त करना ग्रामीणों के लिए सरल और सुलभ हो गया है।

सरपंच पति’ प्रथा के खिलाफ संघर्ष

ग्रामीण राजनीति में प्रचलित ‘सरपंच पति’ प्रथा, जहां निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के स्थान पर उनके पति या पुरुष परिजन कार्यभार संभालते हैं, के खिलाफ डॉली ने सशक्त आवाज उठाई है। उन्होंने इस प्रथा को समाप्त करने के लिए बिहार के पंचायती राज मंत्रालय में याचिका दायर की, जिससे महिला प्रतिनिधियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने का मार्ग प्रशस्त हो सके।

शहरी जीवन से ग्रामीण सेवा तक का सफर

मेरठ में जन्मी और इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए धारक डॉली ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्य किया। अपनी सास, जो दो बार सरपंच रह चुकी थीं, के निधन के बाद, डॉली ने 2018 में शादीपुर पंचायत का मध्यावधि चुनाव लड़ा और 129 वोटों से विजयी हुईं। उनके शहरी अनुभव और शिक्षा ने ग्रामीण विकास में नई ऊर्जा का संचार किया।

महिला नेतृत्व को प्रोत्साहन

डॉली कुमारी ने पंचायत में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए आठ महिलाओं और पांच पुरुषों की न्यायिक पीठ का गठन किया है। उनका मानना है कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से सामाजिक मुद्दों, जैसे बाल विवाह, को प्रभावी रूप से संबोधित किया जा सकता है। उनके प्रयासों को बिहार सरकार ने मान्यता दी है, और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर गया जिला प्रशासन द्वारा ‘अधिकार प्राप्त सरपंच’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

डॉली कुमारी का नेतृत्व और नवाचार ग्रामीण भारत में परिवर्तन की प्रेरक कहानी है। उनके प्रयास न केवल शादीपुर पंचायत में बल्कि पूरे बिहार में महिला सशक्तिकरण और न्यायिक सुधार के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो रहे हैं।

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