इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में देशभर के 10 राज्यों में 12 स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम.के. फैज़ी की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद की गई है। इस बीच, एसडीपीआई ने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया है।
10 राज्यों में ईडी का शिकंजा
ईडी की टीमें दिल्ली, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में छापेमारी कर रही हैं। दिल्ली स्थित एसडीपीआई मुख्यालय के अलावा, तिरुवनंतपुरम और मलप्पुरम (केरल), बेंगलुरु (कर्नाटक), नंद्याल (आंध्र प्रदेश), ठाणे (महाराष्ट्र), चेन्नई (तमिलनाडु), पाकुड़ (झारखंड), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) और जयपुर (राजस्थान) में भी छापे मारे गए हैं।
ईडी के आरोप: एसडीपीआई पर पीएफआई से जुड़े होने का आरोप
ईडी ने अपने बयान में कहा है कि एसडीपीआई, पीएफआई का एक राजनीतिक मोर्चा है और उसकी फंडिंग भी पीएफआई से ही होती रही है। ईडी ने आरोप लगाया कि एसडीपीआई ने चुनाव लड़ने, नीति निर्माण और संगठन के विस्तार के लिए पीएफआई के धन का इस्तेमाल किया।
ईडी का कहना है कि “पीएफआई भारत और विदेशों (खासकर खाड़ी देशों) से अवैध तरीके से फंड जुटा रहा था। यह फंड भारत में उग्रवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। एसडीपीआई को पीएफआई के इस धन का लाभ मिला और यह संगठन पूरी तरह से पीएफआई पर निर्भर था।”
एसडीपीआई की सफाई: ‘यह राजनीतिक प्रतिशोध है’
एसडीपीआई ने ईडी की इस कार्रवाई को पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित बताया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव इलियास मोहम्मद तुंबे ने बयान जारी कर कहा, “एसडीपीआई एक स्वतंत्र राजनीतिक संगठन है, जिसका पीएफआई से कोई संबंध नहीं है। सरकार राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। ईडी के पास हमारे खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है, इसलिए हमें झूठे आरोपों में फंसाने की कोशिश की जा रही है।”
एसडीपीआई ने यह भी कहा कि वह कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और जल्द ही इस मामले में अदालत का रुख करेगी।
एम.के. फैज़ी की गिरफ्तारी और जांच का दायरा
गौरतलब है कि एसडीपीआई अध्यक्ष एम.के. फैज़ी को इसी हफ्ते दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। ईडी के मुताबिक, उन्हें जनवरी 2024 में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया। फरवरी 2025 तक उन्हें कई समन भेजे गए, लेकिन वे पेश नहीं हुए, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई।
ईडी का कहना है कि एसडीपीआई के पास मौजूद ₹4.07 करोड़ की राशि संदिग्ध है और यह धन पीएफआई द्वारा जुटाए गए “अवैध फंड” का हिस्सा हो सकता है।
अब तक की बरामदगी और ईडी की कार्रवाई
ईडी ने इस मामले में अब तक ₹61.72 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं और नौ अभियोजन शिकायतें (चार्जशीट) दायर की हैं। पीएफआई के 26 पदाधिकारी और सदस्य गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें इसके अध्यक्ष, महासचिव और राष्ट्रीय/राज्य कार्यकारी परिषद के नेता शामिल हैं।
ईडी का कहना है कि पीएफआई ने 2009 से 2022 के बीच अपने 29 बैंक खातों में ₹62 करोड़ से अधिक की राशि जमा की थी, जिसमें से आधे से अधिक पैसे नकद में आए थे।
क्या होगा आगे?
ईडी अब एसडीपीआई और उससे जुड़े अन्य संगठनों की आर्थिक गतिविधियों की गहन जांच कर रही है। इस मामले में और भी लोगों को समन भेजे जा सकते हैं और कई और गिरफ्तारियां संभव हैं।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस मामले को आतंकी फंडिंग से जुड़ा एक बड़ा खुलासा मान रही हैं, जबकि एसडीपीआई इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” बता रही है। अब देखना होगा कि अदालत में इस मामले को लेकर क्या रुख अपनाया जाता है और ईडी की जांच कितनी आगे बढ़ती है।