इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
गया जिले के टनकुप्पा थाना क्षेत्र से अंधविश्वास से जुड़ी एक रोंगटे खड़े कर देने वाली वारदात सामने आई है। बरडीहा दुखी बीघा गांव में 60 वर्षीय बिरजू मांझी की ओझा-गुणी के शक में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना 18 जुलाई की रात की है। हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से उसे वजीरगंज थाना क्षेत्र के कोल्हना गांव के एक खेत में गड्ढा खोदकर दफना दिया गया।
परिजनों ने अपहरण की आशंका जताते हुए 18 जुलाई को ही टनकुप्पा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की और तकनीकी साक्ष्य के आधार पर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों में श्यामदेव मांझी और एक महिला शामिल है।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्हें शक था कि बिरजू मांझी ओझा-गुणी हैं और उन्होंने टोटका कर उनके परिवार में एक के बाद एक चार लोगों की मौत कराई है। इसी संदेह में उन्होंने बिरजू मांझी का अपहरण कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी और सबूत छिपाने के लिए शव को खेत में दफना दिया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आनंद कुमार ने एक विशेष जांच दल का गठन किया, जिसकी त्वरित कार्रवाई में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों की निशानदेही पर शव बरामद कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने शव की फॉरेंसिक जांच भी करवाई है ताकि हत्या के कारण और समय का स्पष्ट पता चल सके।
वजीरगंज एसडीपीओ सुनील पांडे ने बताया कि, “यह घटना अंधविश्वास का भयावह परिणाम है। पुलिस अन्य संलिप्त आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी कर रही है। जल्द ही सभी दोषियों को सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा।”
घटना के बाद गांव में भय और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से दोषियों को कड़ी सजा दिलाने और अंधविश्वास के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाने की मांग की है।
गौरतलब है कि बिहार के कई इलाकों में आज भी ओझा-गुणी और टोटके के नाम पर लोगों को निशाना बनाया जाता है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि समाज में वैज्ञानिक सोच और शिक्षा का प्रसार कितना जरूरी है।