इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बागेश्वर धाम के प्रमुख और स्वयंभू धर्मगुरु धीरेंद्र शास्त्री एक बार फिर अपने विवादित बयान और योजनाओं को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मध्यप्रदेश के गढ़ा में भारत का पहला ‘हिंदू गांव’ बसाने का ऐलान किया है, जिसमें केवल हिंदू परिवारों को बसाया जाएगा और गैर-हिंदुओं की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी।
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने समर्थकों के बीच यह घोषणा करते हुए कहा कि यह गांव ‘सनातन संस्कृति’ और ‘धार्मिक शुद्धता’ का प्रतीक होगा। उन्होंने बताया कि इस गांव में एक हज़ार हिंदू परिवारों को बसाया जाएगा और यहां “धर्म के विरुद्ध कोई गतिविधि” नहीं होने दी जाएगी।
विवादों का सिलसिला जारी
धीरेंद्र शास्त्री पहले भी अपने बयानों को लेकर विवादों में रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि उनका यह कदम देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है और सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला है। सोशल मीडिया पर इस घोषणा की तीखी आलोचना हो रही है, वहीं कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका समर्थन किया है।
कानूनी और संवैधानिक सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का संविधान किसी भी नागरिक को किसी भी स्थान पर बसने और रहने का अधिकार देता है, ऐसे में किसी विशेष धर्म के आधार पर प्रवेशनिर्धारण करना असंवैधानिक माना जा सकता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पूरे प्रोजेक्ट की जांच की मांग की है।
राजनीतिक हलचल
इस ऐलान के बाद राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे समाज में नफरत फैलाने की कोशिश बताया है। वहीं, बीजेपी ने इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस विवादित योजना पर क्या रुख अपनाता है और क्या धीरेंद्र शास्त्री अपने इस ‘हिंदू गांव’ के सपने को ज़मीन पर उतार पाते हैं या नहीं।