
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
कर्नाटक के हुबली में रविवार, 2 फरवरी को पत्रकार गौरी लंकेश और विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के आरोपियों अमित बड्डी और गणेश मिस्किन का भव्य स्वागत किया गया। दोनों को माला पहनाकर, शॉल ओढ़ाकर और आतिशबाजी के साथ सम्मानित किया गया। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, समर्थकों ने शहर में जगह-जगह बैनर लगाए, जिनमें दोनों को ‘हिंदू टाइगर’ बताया गया। ये बैनर तुलजा भवानी मंदिर के पास भी लगाए गए थे, जिन्हें बाद में मंदिर प्रशासन ने हटा दिया। सम्मान समारोह के बाद बड्डी और मिस्किन ने सिद्धारूढ़ मठ और मुरुसाविरा मठ का दौरा किया। यह पहली बार नहीं है जब इन मामलों के आरोपियों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया गया हो। अक्टूबर 2024 में भी गौरी लंकेश हत्या मामले के दो अन्य आरोपियों को विजयपुरा में जमानत पर रिहाई के बाद इसी तरह सम्मानित किया गया था। *गौरी लंकेश और एमएम कलबुर्गी हत्या मामले गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को उनके बेंगलुरु स्थित घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हत्या हिंदुत्व संगठनों द्वारा एक सुनियोजित साजिश मानी जाती है। आरोप है कि गणेश मिस्किन ने मुख्य शूटर परशुराम वाघमारे को हत्या स्थल तक पहुंचाया था। एमएम कलबुर्गी, जो एक प्रसिद्ध लेखक और हम्पी स्थित कन्नड़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति थे, की हत्या 30 अगस्त 2015 को उनके धारवाड़ स्थित आवास पर की गई थी। दोनों मामलों में अमित बड्डी, मिस्किन, अमोल काले और वासुदेव सुर्यवंशी पर हत्या का मुकदमा चल रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, बड्डी ने गौरी लंकेश की रेकी की थी और हत्या में इस्तेमाल हथियार की व्यवस्था की थी, जबकि सुर्यवंशी ने अपराध में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल चुराई थी। यह घटनाएं न केवल न्याय व्यवस्था बल्कि सामाजिक ताने-बाने पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं।